अनस अल-शरीफ गाजा के भीतर से खबरें देने वाले दुनिया के एकमात्र पत्रकार थे. अल-जजीरा ने गाजा में इजरायल के हमले में अपने पत्रकार अनस की मौत के बाद यह बयान दिया. अनस सहित अल-जजीरा के पांच पत्रकार इजरायली हवाई हमले में मारे गए. इससे मीडिया जगत में हलचल है और इसकी पुरजोर निंदा की जा रही है. इस बीच अनस का आखिरी संदेश सार्वजनिक किया गया है, जिसे उनकी मौत के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है.
अपने इस आखिरी पैगाम में अनस ने कहा है कि.... ये मेरी इच्छा और मेरा अंतिम संदेश है. अगर मेरे ये शब्द आप तक पहुंच गए हैं तो आप समझ जाएं कि इजरायल ने मुझे मार डाला है और मेरी आवाज को खामोश करने में कामयाब रहे हैं. अल्लाह जानता है कि मैंने हरसंभव कोशिश की कि मैं अपने लोगों की ताकत और उनकी आवाज बन सकूं. जब से मैंने जबालिया रिफ्यूजी कैंप की गलियों में आंखें खोली हैं. मेरी उम्मीद रही है कि अल्लाह मुझे लंबी उम्र दे ताकि मैं अपने परिवार के पास अपने शहर असकलान (अल-मज्दल) लौट सकूं. लेकिन अल्लाह की मर्जी पहले होती है और उनका फैसला अंतिम होता है. मैंने कई बार दर्द को हर रूप में जिया है, कई बार पीड़ा सही है. लेकिन फिर भी मैंने एक बार भी सच्चाई को बिना तोड़-मरोड़ या झूठ के सामने लाने में संकोच नहीं किया ताकि उन लोगों को अल्लाह के सामने खड़ा किया जा सके, जिन्होंने चुप्पी साधे रखी, जिन्होंने निर्दोषों की हत्याओं को मुंह सीलकर स्वीकार कर लिया और जिनके दिल हमारे बच्चों और महिलाओं के बिखरे हुए अवशेषों को देखकर भी नहीं पसीजे, और जिन्होंने डेढ़ साल से अधिक समय से मारे जा रहे हमारे लोगों के नरसंहार को रोकने के लिए कुछ नहीं किया.
मैं आपको फिलीस्तीन सौंपता हूं, जो मुस्लिम दुनिया का अनमोल रत्न है और इस दुनिया के हर आजाद शख्स के दिल की धड़कन है. मैं आपको यहां के लोगों, मासूम बच्चों की जिम्मेदारी सौंपता हूं, जिन्हें कभी सपने देखने या सुरक्षा और शांति के साथ जीने का मौका नहीं मिला. उन पर हजारों टन इजरायली बम और मिसाइलें गिराई गईं, जिनसे उनके चिथड़े हो गए.
मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इन बेड़ियों को अपनी आवाज को खामोश न करने दो, न ही सरहदों को तुम्हें रोकने दो. तुम उस जमीं और उसके लोगों की आजादी के लिए पुल बनो, जब तक हमारी चोरी की गई मातृभूमि पर की आजादी का सूरज न उग आए. मैं तुम्हें अपने परिवार की जिम्मेदारी सौंपता हूं. मैं तुम्हें अपनी प्यारी बेटी शम को सौंपता हूं, जो मेरी आंखों का तारा है जिसे मैं बड़ा होते हुए कभी देख ही नहीं सका. मैं तुम्हें अपने प्यारे बेटे सलाह को सौंपता हूं, जिसे मैं जीवन भर सहारा देना और उसके साथ रहना चाहता था, जब तक वह इतना मजबूत न हो जाए कि मेरा बोझ उठा सके और इस मिशन को आगे बढ़ा सके.
मैं तुम्हें अपनी प्यारी मां को सौंपता हूं, जिनकी दुआओं ने मुझे यहां तक पहुंचाया है, जहां मैं हूं. जिनकी दुआएं मेरी ढाल बनीं और जिनके नूर ने मेरा रास्ता रोशन किया. मैं दुआ करता हूं कि अल्लाह उन्हें ताकत दे और मेरी ओर से उन्हें सबसे बेहतरीन इनाम अता करे. मैं तुम्हें अपनी जीवनसंगिनी, अपनी प्यारी पत्नी उम्म सलाह (बयान) को भी सौंपता हूं, जिससे युद्ध ने मुझे महीनों तक जुदा रखा. फिर भी वह हमारे रिश्ते के प्रति वफादार रहीं, जैतून के पेड़ के तने की तरह अडिग रही, सब्र करने वाली, अल्लाह पर भरोसा रखने वाली और मेरी गैरमौजूदगी में पूरे हौसले और ईमान के साथ जिम्मेदारी निभाने वाली.
मैं तुमसे आग्रह करता हूं कि तुम उनके साथ खड़े रहो, अल्लाह ताला के बाद उनका सहारा बनो. अगर मैं मरता हूं, तो अपने उसूलों पर अडिग रहकर मरूंगा. मैं अल्लाह को गवाह बनाकर कहता हूं कि मैं उसके फैसले से राजी हूं, उससे मिलने के यकीन के साथ और इस भरोसे के साथ कि जो अल्लाह के पास है, वह बेहतर और हमेशा रहने वाला है.
ऐ अल्लाह! मुझे शहीदों में शामिल कर, मेरे पिछले और आने वाले गुनाह माफ कर और मेरे खून को मेरी कौम और मेरे परिवार के लिए आजादी का रास्ता रोशन करने वाली एक रोशनी बना दे. अगर मुझसे कोई कमी रह गई हो तो मुझे माफ कर और मेरे लिए रहमत की दुआ करना क्योंकि मैंने अपना वादा निभाया और उसे कभी बदला या तोड़ा नहीं. गाजा को मत भूलना... और मुझे अपनी दुआओं में मत भूलना.
बता दें कि इजराइल के हमले में गाजा में अनस अल-शरीफ (Anas Al-Sharif) सहित अलजजीरा के पांच पत्रकारों की मौत हुई है. गाजा के अल-शिफा हॉस्पिटल के पास पत्रकारों के लिए बनाए गए तंबू पर इजरायली हवाई हमला हुआ, जिसमें अलजजीरा के पत्रकारों की मौत हो गई.
उन्होंने जीवित रहते हुए अपने आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि लगातार बमबारी हो रही है. दो घंटे से गाजा शहर पर इझरायली हमला तेज हो गया है.
बता दें कि इजराइली सेना ने अनस को आतंकी बताते हुए दावा किया था कि वह हमास में एक आतंकी सेल के चीफ के तौर पर काम कर चुका था. उसका काम इजराइली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमले कराना था.
अनस अल-शरीफ कतर के प्रमुख मीडिया नेटवर्क अल-जजीरा के प्रमुख अरबी संवाददाता थे. उनकी उम्र 28 साल थी. वह गाजा से लगातार अल जजीरा के लिए युद्ध की कवरेज कर रहे थे. इजरायली रक्षा बल (IDF) ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा था कि अनस अल-शरीफ हमास के एक आतंकी था, जो पत्रकार के रूप में काम कर रहा था.
हालांकि, अल जजीरा और अन्य मीडिया संगठनों ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे पत्रकारों के खिलाफ उकसावे वाला बताया. अल जजीरा ने इस हमले को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला और अपने पत्रकारों को निशाना बनाने की कोशिश बताया. पत्रकार संगठनों, जैसे कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) और रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि पत्रकार नागरिक हैं और उन्हें निशाना बनाना गलत है. अक्टूबर 2023 से गाजा में 200 से अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं.