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काबुल ने PAK के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ तक को नहीं दिया वीजा, तीन दिन से लगा रहे हैं अर्जी

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, आईएसआई प्रमुख आसिम मलिक और दो जनरलों को वीजा देने से इनकार कर दिया है. काबुल ने यह कदम पाकिस्तान के हालिया हवाई हमलों और वायु क्षेत्र उल्लंघन के विरोध में उठाया. इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है.

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ख्वाजा आसिफ सहित कई सीनियर अधिकारियों का वीजा चाहता है पाकिस्तान (File Photo: ITG)
ख्वाजा आसिफ सहित कई सीनियर अधिकारियों का वीजा चाहता है पाकिस्तान (File Photo: ITG)

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के एक हाई-लेवल डेलिगेशन के आधिकारिक दौरे के अनुरोध को कई बार खारिज कर दिया है. पिछले तीन दिनों में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, आईएसआई प्रमुख आसिम मलिक और दो अन्य पाकिस्तानी जनरलों ने तीन अलग-अलग वीजा रिक्वेस्ट भेजे थे. 

काबुल ने इन अनुरोधों पर इनकार कर दिया है. इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) ने पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए हवाई क्षेत्र के उल्लंघन और पक्तिका प्रांत में नागरिक क्षेत्रों पर हवाई हमलों का हवाला दिया है.

पाकिस्तानी डेलिगेशन में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, आईएसआई महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक और दो सीनियर पाकिस्तानी जनरल शामिल थे. TOLO News की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि इन चार सदस्यों ने ही वीजा अनुरोध भेजे थे. हालांकि, काबुल ने उनके अफगानिस्तान दौरे के अनुरोध को लगातार खारिज कर दिया है. इस बीच, सीमा पार से होने वाली घटनाओं और आतंकवादियों को पनाह देने के पारस्परिक आरोपों के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं.

वीजा खारिज करने के पीछे क्या वजह?

इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) ने पक्तिका प्रांत में नागरिक क्षेत्रों पर पाकिस्तान के हालिया हवाई हमलों और वायु क्षेत्र के उल्लंघन का हवाला देते हुए यात्रा को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. काबुल में अधिकारियों ने कहा, "जब हमारे नागरिकों पर हमला हो रहा हो, तब कोई भी डेलिगेशन काबुल आने की उम्मीद नहीं कर सकता." 

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यह भी पढ़ें: सीमा पर तनाव... पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच क्यों हो रहा है बवाल?

अफगानिस्तान के द्वारा लिया गया फैसला सिर्फ एक कूटनीतिक अपमान नहीं है. यह एक साफ संदेश है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान की शर्तों पर उससे बातचीत नहीं करेगा. यह फैसला अफगान संप्रभुता के उल्लंघन के खिलाफ काबुल के जवाबी कार्रवाई के इरादे को दर्शाता है. क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना ​​है कि काबुल द्वारा लगातार इनकार करना द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ते तनाव की ओर संकेत करता है.

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