पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. पूर्वी बर्धमान के कालना नगरपालिका वार्ड नंबर 12 के निवासी पूर्ण साहा को चुनाव आयोग की ड्राफ्ट मतदाता सूची में मृत दिखाया गया. पूरी बात का पता चलते ही पूर्ण साहा खुद डेथ सर्टिफिकेट लेने नगरपालिका पहुंचे.
उन्होंने बताया कि मतदाता सूची में उनके नाम के आगे 'मृत' शब्द लिखा होने से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. पूर्ण साहा ने कहा, 'मैं जीवित हूं, लेकिन मुझे मृत दिखाया गया है. यही वजह है कि मैं अपना डेथ सर्टिफिकेट लेने आया हूं.'
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बीएलओ की लापरवाही और परिवार की दलील
पूर्ण साहा के अनुसार, उन्होंने समय पर एसआईआर जनगणना फॉर्म जमा किया था. लेकिन उनका आरोप है कि बीएलओ ने फॉर्म रिसीव करने के बजाय उन्हें मृत घोषित कर दिया. फॉर्म भरने के दौरान उनकी पत्नी निरबी साहा वहां गई थीं. निरबी का कहना है कि उन्होंने फॉर्म ठीक से नहीं देखा और अंग्रेज़ी पढ़ना न जानने की वजह से यह गलती अनजाने में हो गई.
बीएलओ ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि जीवित व्यक्ति को उनके पास लाया जाए. इस मामले ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है. पूर्वी बर्धमान जिले के तृणमूल कांग्रेस आईएनटीटीयूसी अध्यक्ष संदीप बसु ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग वैध मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रच रहा है और इसके पीछे भाजपा का हाथ है.
अधिकारियों की प्रतिक्रिया और जांच
कालना उपमंडल के प्रशासक अहिंसा जैन ने मामले पर कहा कि उन्हें यह मामला पता चला है और इसकी जांच चल रही है. प्रशासन इस बात की पुष्टि कर रहा है कि सूची में हुई गलती को ठीक किया जाएगा और किसी भी मतदाता के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी.
यह घटना मतदाता सूची में तकनीकी या मानव त्रुटियों के गंभीर परिणाम को उजागर करती है और यह सवाल उठाती है कि ऐसे मामलों में समय रहते सुधार कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है.