पहाड़ों पर लगातार बारिश हो रही है जिसका असर मैदानी इलाकों पर भी पड़ रहा है. गंगा और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है. वाराणसी में भी गंगा का जलस्तर काफी बढ़ चुका है जिसका असर गंगा घाट पर होने वाली गंगा आरती पर भी पड़ा है.
गंगा का जलस्तर बढ़ने से उसके घाट पानी में डूब चुके हैं. बाढ़ का पानी निचले इलाकों तक पहुंचने लगा है जिसके चलते प्रशासन अलर्ट मोड पर है. दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का भी स्थान बदल दिया गया है. आरती मंच के पूरी तरह जलमग्न होने के चलते रविवार को गंगा आरती दशाश्वमेध घाट के बजाय छत पर की गई.
बदलना पड़ा शव दाह का स्थान
लोकप्रिय अस्सी घाट पूरी तरह से जलमग्न हो गया है और बढ़ते जल स्तर को देखते हुए क्रूज का संचालन रोक दिया गया है. नावों का परिचालन पहले ही बंद कर दिया गया है. जुलाई में खबर आई थी कि वाराणसी में गंगा का जलस्तर 20 मिलीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है और खतरे के निशान तक पहुंच गया था.
गंगा का जलस्तर बढ़ने से न सिर्फ पक्के घाटों का संपर्क टूट चुका है बल्कि तट पर बने छोटे-बड़े मंदिर भी जलमग्न हो चुके हैं. पानी बढ़ने से सिर्फ आरती स्थल की जगह ही नहीं बदली गई है बल्कि महाश्मशान मणिकर्णिका घाट में शव दाह का स्थान तक बदलना पड़ा है क्योंकि गंगा का पानी घाट के ऊपर तक आ गया है.
भीड़ बढ़ने से बढ़ी मुश्किलें
मणिकर्णिका घाट पर यूपी ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी लोग शवदाह के लिए आते हैं. लेकिन बाढ़ की विभीषिका ने सभी पक्के घाटों के साथ ही अब महाश्मशान मणिकर्णिका घाट को भी डुबो दिया है. आलम यह है कि अब ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए बनाई गई छत या जिसे बड़ा प्लेटफार्म कहते है वहां शवदाह शुरू किया गया है.
जगह कम हो जाने और भीड़ बढ़ने की वजह से लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. ऐसी मान्यता है कि काशी के मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार करने से मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी आस्था के साथ दुनिया भर से सनातनी यहां आते हैं. लेकिन मोक्ष के इस रास्ते में पतित पावनी मां गंगा अवरोध पैदा करने लगी है और मोक्ष मार्ग को मुश्किल बना दिया है.