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'भाजपा दरवाजा बंद करेगी तो...', यूपी के मंत्री संजय निषाद ने गठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान

दरअसल, इससे पहले संजय निषाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बीजेपी को अगर उनसे फायदा नहीं है तो वह गठबंधन तोड़ सकती है. यही नहीं, निषाद ने यह भी कहा था कि बीजेपी अपने स्थानीय नेताओं से सहयोगी दलों पर हमले कराना बंद करे, नहीं तो आगे दोस्ती बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.

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निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद (Photo: ITG)
निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद (Photo: ITG)

यूपी सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने एक बड़ा बयान दिया है. 'आजतक' से बातचीत में उन्होंने कहा कि सपा ने अपना दरवाजा बंद किया तो मैं भाजपा के साथ आ गया, अब अगर भाजपा बंद कर लेगी तो मैं देखूंगा कि आगे क्या करना है. इससे पहले निषाद ने यूपी भाजपा को साफ-साफ शब्दों में कहा था कि अगर लगता है कि उन्हें निषाद पार्टी से फायदा नहीं है तो गठबंधन तोड़ सकते हैं.

बकौल संजय निषाद- बीजेपी से समस्या नहीं है. अमित शाह हों या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यह दोनों हमारे एजेंडे को लेकर संजीदा हैं. लेकिन बीजेपी के कुछ नेता और खासकर सपा-बसपा से बीजेपी में आए हुए जो निषाद नेता हैं, वह हमारे बारे में, निषादराज के बारे में अनर्गल बातें कर रहे हैं और इनकी वजह से नुकसान हो रहा है. 

संजय निषाद ने जोर देते हुए कहा कि हम बीजेपी के साथ आज भी हैं और कल भी चट्टान की तरह रहेंगे. लेकिन बीजेपी को अपने इन छुटभैये नेताओं को संभालना होगा.

उन्होंने आगे कहा कि 1947 में जब अनुसूचित बिरादरी की लिस्ट बनी तो हमारे समाज का उसमें स्थान था लेकिन राज्य सरकारों ने हमें उस सूची से बाहर निकाल दिया. अब वापस अनुसूचित सूची में निषाद बिरादरी को लाने में कोशिश में लगा हूं, उम्मीद है कि यह जल्द होगा. 

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यह भी पढ़ें: 'पार्टी की टोपी लगाकर जाना, नहीं तो समझेंगे पऊआ पीने वाला है', यूपी के मंत्री संजय निषाद का कार्यकर्ताओं को संदेश

संजय निषाद ने कहा कि दिल्ली के तालकटोरा में स्थापना दिवस पर सारे सहयोगी दल जुटे, यह कोई भाजपा विरोध की जुटान नहीं थी. हमने तो अमित शाह और जेपी नड्डा जी को भी आमंत्रित किया था, लेकिन वह किसी वजह से नहीं आए. इसे किसी प्रेशर ग्रुप की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. हम सब मिलकर एनडीए को मजबूत कर रहे हैं. 

बकौल निषाद- मेरे बाद मेरे परिवार का उत्तराधिकारी मौजूद है, इसलिए सियासत में परिवार जरूरी है. मेरा परिवार पूरा कफन बांधकर सियासत में उतरा है. कोई मुझे मार सकता है, मेरी सोच को नहीं. मेरे बाद, मेरा परिवार आगे चलेगा. इसलिए परिवारवाद जिसे आप कहते हैं मुझे लगता है मेरा समाज उसे मान्यता देता है. 

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