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गाजा पीड़ितों के नाम पर उगाही, टेरर फंडिंग में इस्तेमाल? कैसे यूपी ATS के हत्थे चढ़े तीन युवक

गाजा युद्ध पीड़ितों की मदद के नाम पर करोड़ों रुपये की उगाही और गबन करने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. यूपी एटीएस ने खुफिया जानकारी के आधार पर महाराष्ट्र के भिवंडी से तीन युवकों को गिरफ्तार किया. आरोपियों ने सोशल मीडिया के जरिए मार्मिक वीडियो पोस्ट कर लोगों से चंदा जुटाया और बड़े पैमाने पर गबन किया. अब एटीएस इस मामले की गहन जांच कर रही है कि इन पैसों के इस्तेमाल का असल मकसद क्या था.

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भिवंडी से पकड़े गए तीन संदिग्ध (Photo: Screengrab)
भिवंडी से पकड़े गए तीन संदिग्ध (Photo: Screengrab)

उत्तर प्रदेश एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) ने गाज़ा युद्ध पीड़ितों की मदद के नाम पर देशभर से करोड़ों रुपये की उगाही और गबन करने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस मामले में महाराष्ट्र के भिवंडी से तीन युवकों  मोहम्मद अयान, जैद नोटियार और अबू सूफियान को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया गया है.

अब एटीएस ने इस पूरे मामले से पर्दा उठा दिया है. एटीएस के मुताबिक, आरोपियों ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गाज़ा युद्ध में घायल बच्चों और महिलाओं की मदद के नाम पर मार्मिक वीडियो और संदेश पोस्ट कर लोगों की भावनाओं को भड़काया. 

टेरर फंडिंग की होगी जांच

इसके बाद अलग-अलग यूपीआई आईडी और बैंक खातों के जरिए देशभर, खासकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों से, लाखों रुपये चंदे के रूप में जुटाए गए. जब मामला सामने आया तो एटीएस ने खुफिया जानकारी जुटाई और इसकी पुष्टि के बाद लखनऊ स्थित एटीएस थाना में धारा 152, 318(4), 61(2) BNS के तहत केस दर्ज किया गया. इसके बाद कोर्ट से गैर जमानती वारंट लेकर 20 सितंबर को टीम ने तीनों को महाराष्ट्र के भिवंडी से दबोच लिया. 

एटीएस के अनुसार, गाज़ा पीड़ितों की मदद के नाम पर जुटाई गई भारी रकम का बड़ा हिस्सा असल में पीड़ितों तक नहीं पहुंचा बल्कि आरोपियों ने इसका इस्तेमाल अपनी अवैध गतिविधियों में किया. पुलिस अब इस गबन की गई राशि के इस्तेमाल के पीछे की साजिश और संभावित देशविरोधी गतिविधियों की जांच कर रही है.

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एटीएस टीम आरोपियों को लेकर आएगी लखनऊ

वहीं गिरफ्तारी के बाद अभियुक्तों को मुंबई की अदालत में पेश कर उनका ट्रांजिट रिमांड लिया जाएगा और उन्हें लखनऊ लाया जाएगा जहां आगे की कार्रवाई और विस्तृत पूछताछ की जाएगी. एटीएस ने कहा कि पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए अदालत से अनुरोध किया जाएगा ताकि धन के इस्तेमाल और नेटवर्क की गहराई से जांच की जा सके. इस खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं और सोशल मीडिया पर चल रहे फर्जी चंदा अभियानों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई है.

 

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इनपुट - विक्रांत चौहान
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