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Ram Mandir: 2000 KM की पैदल यात्रा कर अयोध्या पहुंच रहे 'बापू', कड़ाके की ठंड में बदन पर सिर्फ धोती

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की नजदीक है. राम भक्त अपने-अपने तरीके से प्रभु के दर पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में एक राम भक्त महात्मा गांधी जी के गेटअप में कर्नाटक से पैदल निकले हैं. वो 22 जनवरी से पहले अयोध्या पहुंचने का प्लान कर चुके हैं. फिलहाल, वो प्रयागराज तक आ चुके हैं.

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गांधी जी के गेटअप में अयोध्या के लिए निकले बुजुर्ग
गांधी जी के गेटअप में अयोध्या के लिए निकले बुजुर्ग

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देश के कोने-कोने से लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं. ऐसे ही एक राम भक्त हैं मुर्तना, जो कर्नाटक से गांधी जी के गेटअप में राम नगरी के लिए निकल पड़े हैं. उनके हाथों में लाठी, कमर में घड़ी और आंखों पर गांधी जी जैसा चश्मा है. वो बदन पर बापू की तरह ही धोती भी लपेटे हुए हैं. मुर्तना का एक ही टारगेट है 22 जनवरी से पहले अयोध्या पहुंचना. 

2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा 

50 वर्षीय मुर्तना कर्नाटक के रहने वाले हैं. उम्र के इस पड़ाव में भी उनका जज्बा किसी नौजवान से कम नहीं है. क्योंकि वो 2000 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहे हैं. अभी वो प्रयागराज पहुंचे हैं, जहां हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है. इस ठंड में भी उनके बदन पर महज धोती है. अब उनकी अयोध्या की दूरी 170 किलोमीटर बची है, जिसको यह तीन से चार दिन में पूरी कर लेंगे. 

प्रयागराज में मुर्तना

मुर्तना जिस भी जिले में जा रहे हैं वहां के लोग उनका जोर-शोर से स्वागत कर रहे हैं. लोग उनके साथ सेल्फी ले रहे हैं. उनका गेटअप हर किसी को गांधी जी की याद दिला रहा है. रास्ते पर जब वो चलते हैं तो गांधी जी की तरह ही राम नाम के जाप का उच्चारण कर रहे हैं. उनके हाथों में आदर्श राम राज्य के बारे में लिखी तख्तियां भी हैं. फिलहाल, उनका टारगेट पैदल अयोध्या पहुंचने का है, वो भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले. 

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12 दिसंबर को कर्नाटक से अपनी पदयात्रा शुरू की थी

बता दें कि मुर्तना की की शादी हो चुकी है. उनकी एक बेटी है, जो पढ़ाई कर रही है. उन्होंने 12 दिसंबर को कर्नाटक से अपनी पदयात्रा शुरू की थी. 12 जनवरी को यह अयोध्या पहुंचेंगे, जहां पर उनकी यात्रा समाप्त होगी. 

बीते दिन प्रयागराज पहुंचकर मुर्तना ने यहां के कमिश्नर से मुलाकात की. कमिश्नर ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया साथ ही कपड़े देते हुए उसे पहनने की अपील की. हालांकि, मुर्तना ने कहा कि उनके पास जीतने वस्त्र हैं वो पर्याप्त हैं. वहीं, विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता उनको प्रयागराज में आश्रय दिया. 

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