उत्तर प्रदेश के नोएडा को लेकर प्रशासन का दावा रहा है कि यहां अवैध खनन नाम की कोई चीज नहीं है. गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन दावे करता है कि खनन माफियाओं पर शिकंजा पूरी तरह से कस दिया गया है, लेकिन आजतक के अंडरकवर स्टिंग ऑपरेशन ने इन दावों की हकीकत को बेनकाब कर दिया है.
आजतक के खुफिया कैमरे में खनन माफिया से लेकर उन्हें संरक्षण देने वाले सिस्टम तक, सबकी सच्चाई कैद हो गई है. पट्टे की आड़ में यमुना का सीना चीरते अवैध खनन की हकीकत भी आजतक के खुफिया कैमरे में कैद हो गई. नोएडा के रायपुर इलाके में यमुना नदी के रिवरबेड पर बालाजी इंटरप्राइजेज के नाम पर खनन का ठेका है. लेकिन पर्यावरण मंजूरी की शर्तों को गंभीरता से तोड़ते हुए यहां जेसीबी और भारी मशीनों से खुलेआम खनन जारी है.
नोएडा के रायपुर मे यमुना नदी की धारा मोड़ी गई है और रेत ढुलाई के लिए नदी के बीच रास्ता बनाया गया है. नियम साफ कहते हैं कि पानी आने तक या अधिकतम तीन मीटर तक ही खनन हो सकता है. भारी मशीनों के प्रयोग पर रोक है और रिवरबेड पर डंपरों की आवाजाही प्रतिबंधित है. लेकिन मौके पर जो कुछ आजतक के खुफिया कैमरे में कैद हुआ, उसने इन नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई.
चौंकाने वाला खेल
खनन का खेल कैमरे में कैद करने के बाद आजतक की टीम ने जिले के खनन अधिकारी उत्कर्ष त्रिपाठी से बात की. उत्कर्ष ने अवैध खनन के आरोप खारिज कर दिए और वीडियो मांगा. आजतक की टीम ने उत्कर्ष त्रिपाठी को वीडियो भेजने की बजाय वीडियो कॉल पर लाइव सच्चाई दिखाई. कहां खनन अधिकारी उत्कर्ष त्रिपाठी कोई एक्शन लेते, यहां तो चौंकाने वाला खेल हो गया.
आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर के पास एक अनजान नंबर से फोन आया. खुद को बालाजी इंटरप्राइजेज से जुड़ा बताने वाला मचल सिंह नाम का शख्स अंडरकवर रिपोर्टर से मिलने पहुंच गया. मचल सिंह सफेद स्कॉर्पियो (UP16 CS 9720) से पहुंचा था. मचल सिंह से बातचीत के दौरान खुफिया कैमरे में खनन माफिया का पूरा नेटवर्क बेनकाब हो गया.
पर्यावरण मंजूरी की शर्तें ध्वस्त
नोएडा में चल रहे अवैध खनन के खेल में पर्यावरण मंजूरी की शर्तें ध्वस्त हो गई हैं. नियमों के मुताबिक भारी मशीनों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. नदी की धारा बदलना गैरकानूनी है. रिवरबेड पर डंपरों की आवाजाही मना है. इन तमाम नियमों और प्रतिबंधों के बावजूद रात-दिन मशीनें चल रहीं हैं. इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है और यमुना का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है.
प्रशासन चुप, माफिया बेलगाम
अवैध खनन के खेल में प्रशासन चुप है और इसी की वजह से खनन माफिया बेलगाम हो गए हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासन से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. नतीजा यह कि खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.
जिम्मेदारों से सवाल
खनन के खेल में सवाल जिम्मेदारों पर भी उठ रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि किस आधार पर खनन माफियाओं को यह छूट मिली? स्थानीय थाने अवैध खनन पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? नदी की धारा मोड़कर, प्रतिबंधित मशीनों से खनन कैसे जारी है?
सख्त कार्रवाई की डिमांड
आजतक की इस पड़ताल ने साबित कर दिया है कि पट्टे की आड़ में अवैध खनन का खेल जारी है. अब जरूरत है सख्त और बड़ी कार्रवाई की, ताकि यमुना नदी को बर्बादी से बचाया जा सके और सरकारी खजाने पर डाका रोका जा सके.