चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे आनंद शुक्ला के चुनावी जनसभा के दौरान विवादित बयान दिया है. उन्होंने बागी प्रत्याशी का वध करने की बात कही. पूर्व विधायक के विवादित बयान का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं, बागी प्रत्याशी ने भी आनंद शुक्ला के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 13 तारीख को फैसला हो जाएगा.
दरअसल, उत्तर प्रदेश जनपद में द्वितीय चरण में होने वाले निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में चित्रकूट के प्रभारी मंत्री नरेंद्र कश्यप चुनावी संवाद कार्यक्रमों को संबोधित करने पहुंचे थे. जनपद के प्रभारी मंत्री राजापुर में राजापुर नगर पंचायत से भाजपा प्रत्याशी संजीव मिश्रा के पक्ष में लोगों से मतदान की अपील करने पहुंचे तो वहां पर मौजूद भाजपा के पूर्व विधायक आनंद शुक्ला को भी मंच से संबोधित करने के लिए बुलाया गया.
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उनका वध करना बहुत जरूरी है: आनंद शुक्ला
अपने संबोधन के दौरान पूर्व भाजपा विधायक ने 'बागी प्रत्याशी मनोज द्विवेदी की तुलना बाली और दुर्योधन से करते हुए कहा ''हर गदाधारी भगवान बजरंगबली नहीं होत, हर गदाधारी भीम नहीं होता, यहां जो कुछ लोग गदा लेकर घूम रहे हैं उनका वध करना बहुत जरूरी है चाहे नैतिक हो या अनैतिक.''
अगर दम है तो वध करा कर दिखा दें: मनोज द्विवेदी
इस पूरे मामले पर जब मनोज द्विवेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने पूर्व भाजपा विधायक को चुनौती देते हुए कहा कि अगर दम है तो वध करा कर दिखा दें. मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि आने वाली 13 तारीख को मैं इनका राजनीतिक वध जरूर कर दूंगा.
दूसरे चरण में इन मंडलों के इन जिलों में होगी वोटिंग
नगर निकाय के 14,684 पदों के लिए हो रहा चुनाव
बता दें कि नगर निकाय के 14,684 पदों पर चुनाव होगा. इसमें 17 महापौर और 1420 पार्षद का चुनाव ईवीएम से होगा. जबकि, नगर पालिका परिषद के 199 अध्यक्ष और 5327 सदस्य बैलट पेपर के जरिए चुने जाएंगे. इसके अलावा 544 नगर पंचायत अध्यक्ष, 7178 सदस्यों का चुनाव भी मतपत्रों से होगा. इससे पहले नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर यूपी सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी.
इसमें आरक्षित सीटों को लेकर भी जानकारी दी गई थी. इसमें बताया गया था कि कौन-सी सीट से समाज के किस वर्ग का प्रत्याशी चुनाव लड़ सकता है. यूपी निकाय चुनाव को लेकर पिछले साल से तैयारी चल रही थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण को लेकर मामला फंस रहा था और फिर हाईकोर्ट द्वारा बिना आरक्षण के चुनावों का ऐलान भी हुआ था. उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, फिर कमेटी बनी और अब ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो रहे हैं.