यूपी के फतेहपुर में बीते सोमवार को नवाब अब्दुल समद मकबरे को लेकर भारी बवाल हुआ. हिंदू संगठनों के लोगों ने यहां पर जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ भी की. उनका दावा है कि यहां प्राचीन शिव-कृष्ण मंदिर था, जिसे बाद में मकबरे में बदल दिया गया. दोनों ही पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. फिलहाल, मौके पर कई थानों की फोर्स तैनात है. इलाके का माहौल तनावपूर्ण है. इस बीच 'आजतक' से बातचीत में स्थानीय मुस्लिमों ने बवाल की आंखों देखी बयां की है. उन्होंने पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
आपको बता दें कि फतेहपुर के जिस आबू नगर रेडइया क्षेत्र स्थित मकबरे में हिंदू संगठनों ने बवाल काटा, उस इलाके के रहने वाले तसलीम तारीफ अशरफी ने मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि बवाल करने वाले कह रहे थे कि उनकी सीओ (पुलिस ऑफिसर) से बात हो गई है, उन्हें रोका नहीं जाएगा. दूसरी तरफ मुसलमानों को रोक लिया गया और वे आगे नहीं बढ़ पाए. बढ़ने की कोशिश पर लाठी फटकार कर खदेड़ दिया गया.
अशरफी ने आगे कहा- भीड़ में शामिल लोगों ने कहा कि उनकी सीओ से बात हो गई है. बस उनका रूट बदल दिया गया है. इसके बाद पुलिस-प्रशासन के सामने भीड़ मकबरे में जा पहुंची और वहां तोड़फोड़ शुरू कर दी. दरगाह-मजार आदि क्षतिग्रस्त कर दी गई.
स्थानीय मुस्लिमों ने लगाया पुलिस पर लापरवाही का आरोप
बकौल तसलीम तारीफ अशरफी- हम लोग पुलिस-प्रशासन के भरोसे बैठे थे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. सब अपनी आंखों के सामने होते देखते रहे. ये बहुत शर्मनाक घटना है. बिना बात का विवाद खड़ा किया गया.
अशरफी कहते हैं कि जब इस मकबरे का निर्माण किया गया था, उस समय के दस्तावेज भी हैं. ये मकबरा यहां के नवाब का है. इसमें तोड़फोड़ के समय प्रशासन ने सिर्फ हमें रोका, बवालियों को नहीं रोका. सबके सामने मकबरे में झंडे फहराए गए, तोड़फोड़ की गई, वीडियो बनाए गए, मगर कोई कुछ नहीं कर सका, जबकि भारी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद थी.
एक और स्थानीय मोहम्मद एजाज ने कहा कि सबकुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ. मुस्लिम लोग कम थे, हिंदू ज्यादा. उन्होंने मकबरे के ऊपर चढ़कर झंडा लगा दिया. तोड़फोड़ की. पुलिस काफी थी लेकिन रोकने में नाकाम रही.
गौरतलब है कि अबू नगर स्थित जिस मकबरे में हिंदू संगठनों के द्वारा पूजा-पाठ करने के बाद इलाके का माहौल बिगड़ा, उस मकबरे के आसपास वैसे तो मिश्रित आबादी है. लेकिन मुस्लिम बहुल बस्ती में रहने वाले लोग आक्रोशित हैं. इसकी वजह है- प्रशासन की मौजूदगी में पुलिस की तैनाती होने के बावजूद सैकड़ों लोग मकबरे में घुसकर पूजा-पाठ कर गए और तोड़फोड़ भी कर गए.
बस्ती में रहने वाले लोगों का कहना है कि जब कई दिनों से इस कार्यक्रम का ऐलान था तो प्रशासन ने उचित इंतजाम क्यों नहीं किया. जो लोग ऐलानियां इस कार्यक्रम को करवा रहे थे, कल हुए फसाद में शामिल थे, उनके नाम एफआईआर में नहीं है, तो इसका मतलब शासन-प्रशासन की इच्छा पर यह सब कुछ हुआ है.
दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मकबरे के केयरटेकर (मुतवल्ली) मोहम्मद नफीस ने हिंदू संगठनों के मंदिर वाले दावे को खारिज किया है. मुतवल्ली ने बताया कि यह इमारत लगभग 500 साल पुरानी है और इसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर के पोते ने करवाया था. इस मकबरे में अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्रें हैं.
वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से 'मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति' ने फतेहपुर डीएम को एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें उन्होंने मकबरे को मंदिर बताया है. उनका कहना है कि मकबरे में कमल, त्रिशूल जैसे निशान पाए गए हैं, जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि ये पूर्व में मंदिर था. यहां परिक्रमा आदि होती थी.
दूसरी ओर, 'राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल' ने भी डीएम को पत्र लिखकर मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ न करने का अनुरोध किया है. काउंसिल ने कहा कि अगर फर्जी में विवाद खड़ा किया जाएगा तो हम लोग बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.