उत्तर प्रदेश की बहराइच पुलिस ने नवंबर माह में आयोजित भागवत कथा के दौरान वृन्दावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को पुलिस परेड ग्राउंड में गार्ड ऑफ ऑनर दिया. इस मामले में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के कड़े विरोध के बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने बहराइच एसपी से जवाब मांगा है.
बहराइच पुलिस के अनुसार, कठिन प्रशिक्षण और मानसिक परिश्रम के कारण जिले में 28 पुलिसकर्मी अब तक त्यागपत्र दे चुके हैं. इसी अवसाद को दूर करने और प्रशिक्षुओं का मनोबल बढ़ाने के लिए आचार्य पुंडरीक गोस्वामी को योग, ध्यान और चरित्र निर्माण पर उद्बोधन हेतु बुलाया गया था.
राजनीति गरमाई
हालांकि, अब इस पूरे प्रकरण पर पुलिस प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. कथावाचक को मिली सलामी के वायरल वीडियो पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने इसे संविधान पर हमला बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी राज में धर्म को कानून से ऊपर रखा जा रहा है. वहीं, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब पुलिस सलामी में व्यस्त रहेगी, तो अपराधी मस्त रहेंगे. उनके अनुसार, भाजपा राज में अपराध पर अंकुश लगाने के बजाय 'सलाम-सलाम' का खेल चल रहा है.
पुलिस का तर्क: अवसाद मिटाने की थी कोशिश
डीजीपी कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि परेड ग्राउंड का उपयोग केवल आधिकारिक और निर्धारित मानकों के लिए होना चाहिए. वहीं, बहराइच पुलिस ने कहा कि भारी तनाव के कारण पुलिसकर्मी सेवा छोड़ रहे हैं. पुलिस लाइन में सिद्धनाथ मंदिर के महंत और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से आयोजित इस कथा का मकसद काउंसलिंग और कर्तव्य निष्ठा की प्रेरणा देना था, ताकि प्रशिक्षुओं का मानसिक तनाव कम किया जा सके.
गौरतलब है कि आमतौर पर यह सम्मान (परेड सलामी, गार्ड ऑफ़ ऑनर) संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों या विशेष आधिकारिक अवसरों पर ही दिया जाता है. लेकिन एक कथावाचक को इस तरह का सम्मान दिए जाने से पुलिस प्रोटोकॉल, प्रशासनिक मर्यादा और नियमों के पालन पर बहस छिड़ गई है. इसको लेकर पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने तर्क हैं. मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है. डीजीपी ने बहराइच एसपी से जवाब मांगा है.