उत्तर प्रदेश के आगरा में एक थाना निरीक्षक समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही निलंबित पुलिसकर्मियों पर थाना जगदीशपुरा में एफआईआर दर्ज की गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी सिटी की सदारत में एसआईटी की टीम गठित कर दी गई है, जो पूरे घटनाक्रम की जांच करेगी.
दरअसल, निलंबित थाना प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र कुमार और तीन पुलिसकार्मियों ने नामचीन बिल्डर से मिली भगत कर करोड़ों रूपये की जमीन पर कब्जा करवाने के लिए एक परिवार के सदस्यों को गांजे की तस्करी और शराब बेचने का झूठा एफआईआर अपने थाने में दर्ज कर जेल भेज दिया था. इसको लेकर 102 दिन तक पीड़ितों को जेल में रहना पड़ा था.
शराब और गांजा के फर्जी मामले में भेजा था जेल
बता दें कि 26 अगस्त को रवि कुशवाहा, शंकरिया कुशवाहा और चौकीदार ओमप्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर किया था. इनके पास से पुलिस ने 9 किलो गांजा बरामद दिखाया था. इसके बाद 9 अक्टूबर को पुलिस ने रवि की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा को अवैध शराब के फर्ज़ी मामले में जेल भेजा दिया था. 8 दिसम्बर को रवि कुशवाहा जेल से रिहा हुआ. 9 दिसम्बर को शंकरिया और ओमप्रकाश जेल से छूटे. साथ ही 30 नवंबर को पुष्पा और पूनम जेल से बाहर आए.
पुलिस ने धूमिल की योगी सरकार की छवि
इस प्रकरण में फतेहपुर सीकरी सांसद राजकुमार चाहर ने कहा है कि योगी सरकार में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुलिस ने भाजपा सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है. डीजीपी ने मामले का संज्ञान लिया है. पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. निलंबन की कार्रवाई से कुछ नहीं होगा. मामले में पुलिस आयुक्त खुद जांच करें. आबकारी विभाग पर भी जांच की जाए. दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाही की जाए.
मामले में पुलिस आयुक्त ने कही ये बात
आगरा पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया है कि तत्कालीन एसओ जितेन्द्र कुमार, बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी समेत 12 लोगों पर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. पीड़ितों पर दर्ज किए गए सभी फर्ज़ी मुकदमों को वापस लिया जाएगा. जमीन से हटाए गए पीड़ितों को दुबारा कब्जा दिलाया जाएगा.