इंग्लैंड के यॉर्कशायर के जंगल में दलदली इलाके में आग लगने के बाद अचानक धमाके शुरू हो गए. इन धमाकों से जंगल में आग और तेजी से बढ़ने लगा है. ये विस्फोट सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय दलदली इलाके में छिपे बम और टैंक के गोले में आग लगने से हो रहा है.
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी यॉर्क मूर्स के एक बड़े क्षेत्र में आग फैल गई है. इस वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के अज्ञात बम और टैंक के गोले फट रहे हैं. विस्फोट की वजह से आसपास के लोग डरे-सहमे हैं और घर छोड़कर भागने को तैयार हैं. इधर, प्रशासन ने भी स्थानीय निवासियों को चेतावनी दी है कि वे घर से भागने के लिए तैयार रहें.
आग की वजह से फट रहे सेकंड वर्ल्ड वॉर टाइम के छिपे हुए बम
क्योंकि हवा में धुआं भर गया है. आपातकालीन दस्ते अन्य क्षेत्रों से भी सहायता बुला रहे हैं. फायर ब्रिगेड टीम दो सप्ताह से अधिक समय से लैंगडेल मूर में लगी आग को बुझाने में जुटी है, जो अब 2,000 एकड़ में फैली हुई बताई जाती है.
मूरलैंड एसोसिएशन ने कहा कि कम से कम 18 विस्फोट हुए, क्योंकि पीट में छुपे हुए दूसरे विश्वयुद्ध के समय के बम और गोले में आग के संपर्क में आने से विस्फोट हो रहा है. इससे अग्निशमन कर्मियों को काफी परेशानी आ रही है.
आसपास के लोगों को घर छोड़ने की चेतावनी
नॉर्थ यॉर्कशायर फायर एंड रेस्क्यू सर्विस ने आस-पास रहने वाले लोगों को चेतावनी दी है कि वे एक ग्रैब बैग तैयार रखें, ताकि आग फैलने और धुएं के खतरे के कारण उन्हें तुरंत अपने घर छोड़ने की नौबत आ सकती है.
यह आग उस क्षेत्र में लगी है, जहां 1940 के दशक में एक टैंक प्रशिक्षण मैदान हुआ करता था. काउंटी के मुख्य अग्निशमन अधिकारी जोनाथन डायसन ने कहा कि यह एक बड़ी जंगली आग है और उन्होंने इंग्लैंड भर में अन्य सेवाओं से मदद का अनुरोध किया है.
अब तक हो चुके हैं 18 बम विस्फोट
उन्होंने बीबीसी को बताया कि जैसे-जैसे पीट जलता जा रहा है, उसमें द्वितीय विश्व युद्ध के छिपे हुए बम संपर्क में आ रहे हैं और इसलिए विस्फोट हो रहा है. हमने अब तक प्रमुख क्षेत्रों में 18 से अधिक आयुध विस्फोट हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि इस वीकेंड से पहले आग पर काबू पाने में कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण प्रगति की थी, लेकिन हवा बदलने और तापमान बढ़ने के कारण 24 घंटे में आग दोगुनी से अधिक हो गई.
विस्फोट की वजह से रेस्क्यू में आ रही परेशानी
आग की वजह से अत्यधिक गर्मी और धुआं फैलने के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध के बमों के फटने का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है. इससे समस्या और ज्यादा बढ़ती जा रही है और रेस्क्यू में फायर ब्रिगेड की टीम को बच-बच कर काम करना पड़ रहा है.