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दिन में टेक जॉब, रात में कैब ड्राइवर... क्यों बेंगलुरु के इंजीनियर चला रहे OLA-UBER

बेंगलुरु में कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर अकेलेपन और काम के दबाव से बचने के लिए रात में कैब चला रहे हैं.  यह ट्रेंड आईटी सेक्टर के तनाव, खराब वर्क-लाइफ बैलेंस और कॉर्पोरेट कल्चर की गहराई से जुड़ी समस्याओं को उजागर करता है.

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बेंगलुरु में आईटी प्रोफेशनल्स का रात में कैब चलाने का चलन बढ़ रहा है. (Photo: AI Generated)
बेंगलुरु में आईटी प्रोफेशनल्स का रात में कैब चलाने का चलन बढ़ रहा है. (Photo: AI Generated)

क्या कभी किसी कैब ड्राइवर ने आपसे कॉर्पोरेट भाषा में बात की है? अगर ऐसा हुआ है, तो हैरान मत होइए. बेंगलुरु के कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर अब कैब चला रहे हैं. वे ऐसा अकेलेपन से बचने और काम के दबाव से राहत पाने के लिए कर रहे हैं. यह ट्रेंड कॉर्पोरेट कल्चर की एक बड़ी समस्या को उजागर करता है.

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एक्सपर्ट बना कैब ड्राइवर
27 साल के अभिनव रविंद्रन दो साल पहले विजयवाड़ा से बेंगलुरु आए थे. वे एक सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एक्सपर्ट हैं. शुरुआत में उनका काम ठीक चला. लेकिन सुड्डागुंटेपल्या इलाके में अकेले रहने की वजह से उन्हें घर की याद और अकेलापन सताने लगा. लगातार काम का दबाव बढ़ता गया और 18 महीने बाद उन्होंने कुछ नया करने की ठानी, उन्होंने कैब चलाना शुरू कर दिया.

दिन में इंजीनियर, रात में कैब ड्राइवर
अब अभिनव दिन में अपनी टेक्निकल नौकरी करते हैं और हफ्ते में एक-दो रातें कैब चलाते हैं. वह “नम्मा यात्री” ऐप से जुड़े हुए हैं और आमतौर पर एयरपोर्ट वाला रूट लेते हैं, क्योंकि यह सबसे आसान और ज्यादा कमाई वाला रास्ता है. वे बताते हैं कि इस काम से उन्हें मानसिक राहत भी मिलती है और 6,000-7,000 रुपये तक एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है.

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आईटी इंजीनियरों में बढ़ रहा नया ट्रेंड
सोशल मीडिया पोस्ट्स से पता चला है कि बेंगलुरु के कई आईटी प्रोफेशनल्स अब ओला, उबर, रैपिडो और नम्मा यात्री जैसे प्लेटफॉर्म पर भी ड्राइव कर रहे हैं. वे ऐसा तनाव कम करने, अजनबियों से बातचीत करने या थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा कमाने के लिए करते हैं. कई लोग मानते हैं कि यह ट्रेंड सिर्फ कमाई के लिए नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट दबाव और मानसिक थकान से जुड़ा है. लंबे काम के घंटे, खराब वर्क-लाइफ बैलेंस और अकेलापन लोगों को ऐसी वैकल्पिक राहों की ओर ले जा रहे हैं. अभिनव कहते हैं, “मैं 12 घंटे से ज्यादा काम करता हूं. अब ऑफिस से काम अनिवार्य हो गया है, जिससे थकान और बढ़ गई है.”

बेंगलुरु की मुश्किलें भी कारण
बेंगलुरु की ज्यादातर आईटी कंपनियां बेलंदूर, मराठाहल्ली, एचएसआर लेआउट और व्हाइटफील्ड जैसे इलाकों में हैं -जो ट्रैफिक और खराब सड़कों के लिए मशहूर हैं. इसलिए कुछ लोग कहते हैं कि रात में कैब चलाना उनके लिए एक मानसिक ब्रेक और सुकून का वक्त बन गया है. साथ ही यह वीकेंड पर खर्च या घूमने-फिरने के लिए एक्स्ट्रा पैसा भी दे देता है.

आईटी कैपिटल की हकीकत
भारत की “आईटी कैपिटल” कही जाने वाली बेंगलुरु आज ट्रैफिक, सड़कों और कॉर्पोरेट दबाव की समस्या से जूझ रही है. फिर भी, यहां के युवा अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने और तनाव से बाहर निकलने के नए तरीके खोज रहे हैं, चाहे वह टेक्नोलॉजी में कोडिंग करना हो या रात में कैब चलाना.

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