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दो दिन वीक ऑफ के लिए यहां ₹1 करोड़ की सैलरी को भी लात मार देते हैं इंजीनियर्स!

इस वक्त देश में वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस चल रही है. हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने अपने कर्मचारियों को हफ्ते में रविवार समेत 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिससे यह बहस और तेज हो गई. अब एक वायरल पोस्ट ने इस बहस में आग में घी डालने का काम किया.

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1 करोड़ की सैलरी, फिर भी 6 दिन काम करने को तैयार नहीं! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)
1 करोड़ की सैलरी, फिर भी 6 दिन काम करने को तैयार नहीं! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)

इस वक्त देश में वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस चल रही है. हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने अपने कर्मचारियों को हफ्ते में रविवार समेत 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिससे यह बहस और तेज हो गई. अब एक वायरल पोस्ट ने इस बहस में आग में घी डालने का काम किया.

सैन फ्रांसिस्को की टेक कंपनी के को-फाउंडर वरुण वुम्मडी ने भारतीयों इंजीनियरों के वर्क कल्चर पर सवाल उठाए. उनका कहना है कि भारतीय इंजीनियर अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद कड़ी मेहनत करने से बचते हैं.

उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी कंपनी की भारतीय ब्रांच में हायरिंग करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि ज्यादातर इंजीनियर हफ्ते में छह दिन काम करने को राजी नहीं होते, भले ही उन्हें 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की ही सैलरी ऑफर की जाए. वरुण वुम्मडी, जो Giga ML  एप्लाइड एआई लैब के को-फाउंडर और CEO हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह पोस्ट की.

'भारतीय इंजीनियर मेहनत नहीं करना चाहते'

वुम्मडी ने अपने पोस्ट में लिखा - मैंने अपनी कंपनी की भारतीय ब्रांच में इंजीनियरों को हायर करने में एक पैटर्न नोटिस किया है. 1 करोड़ रुपये की बेस सैलरी मिलने के बावजूद कई लोग कड़ी मेहनत करने को तैयार नहीं. खासतौर पर 3 से 8 साल के एक्सपीरियंस वाले इंजीनियर हफ्ते में छह दिन काम करने से बचते हैं.

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देखें पोस्ट

पैसा ही सबकुछ नहीं
वुम्मडी के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया पर मिली-जुले रिएक्शन सामने आए. कई लोगों ने इंजीनियरों का समर्थन किया. हर इंसान की अपनी ज़िंदगी की प्राथमिकता अलग होती है. वहीं एक यूजर ने लिखा -आप पैसे से लोगों को खरीद नहीं सकते. वे पैसे की कद्र करते हैं, लेकिन उसे पूजते नहीं.


जिसके जवाब में वुम्मडी ने लिखा - सैन फ्रांसिस्को में ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन भारत में ज्यादातर इंजीनियर ऊंची सैलरी से मोटिवेट होते हैं. एक अन्य यूजर ने लिखा - 26-32 साल की उम्र में लोगों का दो दिन की छुट्टी लेना बिल्कुल सामान्य है. इसे इस तरह पेश करना अजीब है.


वर्क-लाइफ बैलेंस बनाम हाई सैलरी की बहस
वुम्मडी का यह बयान भारतीय आईटी इंडस्ट्री में वर्क-लाइफ बैलेंस बनाम हाई सैलरी की बहस को फिर से चर्चा में ले आया है. साथ ही ये सवाल उठने लगा कि क्या भारतीय इंजीनियर वास्तव में मेहनत से बचते हैं, या फिर वे  के लिए दो दिन की छुट्टी को प्राथमिकता देते हैं?

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