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गुरुग्राम की इस सोसाइटी ने पॉल्यूशन से लड़ने के लिए खुद बनाई 'बारिश', वीडियो हुआ वायरल

गुरुग्राम की एक हाउसिंग सोसाइटी ने आर्टिफिशियल रेन की मदद से वायु प्रदूषण और AQI को कंट्रोल करने की पहल की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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गुरुग्राम की एक हाउसिंग सोसाइटी ने बढ़ते एयर पॉलयूशन से निपटने के लिए आर्टिफिशियल रेन का सहारा लिया. ( Photo: rahulpresents )
गुरुग्राम की एक हाउसिंग सोसाइटी ने बढ़ते एयर पॉलयूशन से निपटने के लिए आर्टिफिशियल रेन का सहारा लिया. ( Photo: rahulpresents )

गुरुग्राम के एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक हाउसिंग सोसाइटी को एयर पॉल्यूशन से निपटने के लिए आर्टिफिशियल करते हुए दिखाया गया है. इस वीडियो ने लोगों का ध्यान इसलिए खींचा है, क्योंकि जहां पूरा शहर खराब हवा (AQI) से परेशान है, वहीं यह सोसाइटी खुद ही प्रदूषण कम करने की कोशिश कर रही है.

यह वीडियो इंस्टाग्राम पर राहुल यादव ने शेयर किया है. उन्होंने कैप्शन में लिखा कि गुरुग्राम की यह सोसाइटी कृत्रिम बारिश ( Artificial rain) के जरिए एयर क्वालिटी को बेहतर बनाए रखती है. उनका कहना है कि जब पूरा शहर सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है, तब यह जगह अपनी 'खुद की बारिश' बनाकर पॉल्यूशन से लड़ रही है.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Rahul Yadav (@rahulpresents)

कैसे काम करता है ये सिस्टम?
वीडियो में दिखाया गया है कि सोसाइटी की इमारतों की छतों पर स्प्रिंकलर लगे हैं. ये स्प्रिंकलर हवा में पानी की बारीक फुहार छोड़ते हैं, जिससे ऐसा लगता है जैसे हल्की बारिश हो रही हो. इस पानी से हवा में मौजूद धूल और प्रदूषण के कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे आसपास की हवा कुछ हद तक साफ हो जाती है. वीडियो में अलग-अलग एंगल से यह सिस्टम दिखाया गया है. साथ ही सोसाइटी के हरे-भरे गार्डन, साफ लॉन और चौड़े पैदल रास्ते भी नजर आते हैं. हरियाली देखकर साफ लगता है कि इस पहल से सोसाइटी का माहौल ज्यादा साफ और रहने लायक बना हुआ है.

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सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?
इस वीडियो पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही हैं. कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि सरकार ऐसी व्यवस्था को बाकी सोसाइटियों और दफ्तरों में क्यों लागू नहीं करती. वहीं, कई यूजर्स ने इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण का ध्यान रखना भी जरूरी है. कुछ लोगों ने यह भी पूछा कि क्या इतनी बड़ी व्यवस्था हर जगह लगाना संभव है और इसकी लागत कितनी होगी. कुल मिलाकर, गुरुग्राम की इस सोसाइटी की कोशिश ने यह दिखा दिया है कि अगर चाहें तो स्थानीय स्तर पर भी एयर पॉल्यूशन से लड़ने के नए और क्रिएटिव तरीके अपनाए जा सकते हैं.

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