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गुरुग्राम की सफाई करते दिखे विदेशी, सड़क पर उठाया कूड़ा... सामने आया वीडियो

रविवार को गुरुग्राम में रहने वाले विदेशी नागरिकों ने शहर की सड़कों और नालियों की सफाई के लिए स्वच्छता अभियान चलाया. इस पहल ने स्थानीय लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि जब सिविक एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहती हैं, तब विदेशी नागरिकों को आगे आकर यह काम करना पड़ता है.

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गुरुग्राम में सफाई करते दिखे विदेशी नागरिक (Photo:ANI)
गुरुग्राम में सफाई करते दिखे विदेशी नागरिक (Photo:ANI)

गुरुग्राम में रविवार को विदेशी नागरिकों और स्थानीय लोगों ने मिलकर शहर की सड़कों और नालियों की सफाई के लिए एक कैंपेन शुरू किया. इस अभियान का मकसद शहर की स्वच्छता सुनिश्चित करना और लोगों में जागरूकता फैलाना था.

इस दौरान उन्होंने नालों से कचरा निकाला और सड़क पर बिखरी गंदगी को साफ किया. यह वीडियो एएनआई ने शेयर किया, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में विदेशी हाथों में तख्तियां लिए नजर आते हैं, जिन पर लिखा था –मेरा गुरुग्राम, मेरा गौरव, मेरी जिम्मेदारी.

विदेशी नागरिकों ने कहा कि उन्होंने यह पहल शहर की सफाई और लोगों को जागरूक करने के लिए की. उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर लोग अपने घर के बाहर की सफाई को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानते, और इस मानसिकता को बदलना जरूरी है.

ANI से बातचीत में एक फ्रांसीसी नागरिक, जो पिछले नौ साल से भारत में रह रहा है, ने कहा कि भारत अद्भुत है, मुझे यह देश बहुत पसंद है, लेकिन दुख की बात है कि यहां कई जगहों पर बहुत कचरा फैला हुआ दिखता है.

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सोशल मीडिया पर लोग विदेशियों की इस पहल की जमकर तारीफ कर रहे हैं, वहीं नगर निगम की लापरवाही को लेकर आलोचना भी तेज हो गई है.

 

'नगर निगम कहां है?'

एक ट्विटर यूज़र @TheSkinDoctor ने लोगों की लापरवाही पर निशाना साधते हुए कहा कि सड़क पर कचरा फैलाना शर्मनाक है. उन्होंने वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें दिखाया गया कि कैसे विदेशी नागरिक सड़कों और नालियों की सफाई कर रहे हैं.

पोस्ट के कमेंट सेक्शन में कई नेटिज़न्स ने नगर निगम पर सवाल उठाए, और लिखा कि सार्वजनिक जनता दोषी नहीं है. महान नगर निगम कहां है? वे अपना काम क्यों नहीं कर रहे हैं?

'ये विदेशी लोगों की जिम्मेदारी नहीं हमारी है'

इस अभियान ने सोशल मीडिया पर लोगों के बीच गहरी बहस शुरू कर दी है. एक तरफ लोग इस पहल की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कई लोग बता रहे हैं कि अब विदेशियों से सीखना पड़ रहा है, जबकि यह काम मूल रूप से स्थानीय सिविक अथॉरिटीज़ का है.

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