उड़ीसा हाई कोर्ट
उड़ीसा उच्च न्यायालय (Orissa High Court) की स्थापना 26 जुलाई 1948 को हुई थी (Foundation of Orissa High Court). कोर्ट की सीट कटक में है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है (Jurisdiction of High Court). उड़ीसा हाई कोर्ट में 27 न्यायाधीशों की क्षमता है (Orissa High Court Sanctioned Strength).
1 अप्रैल 1936 को उड़ीसा (अब ओडिसा) को एक अलग प्रांत बनाया गया था लेकिन इसके लिए कोई अलग उच्च न्यायालय नहीं था. भारत सरकार एक नया उच्च न्यायालय बनाने के लिए सहमत हुई और 30 अप्रैल 1948 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 229 (1) के तहत उड़ीसा उच्च न्यायालय आदेश, 1948 जारी किया (Formation of Orissa High Court).
एस. मुरलीधर 4 जनवरी 2021 से उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं (CJI of Orissa High Court)
उस वक्त का बंगाल प्रेसीडेंसी, जो अब असम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल है, एक विशाल प्रांत था. अलग-अलग भाषाओं और परंपराओं वाले निवासी सहित एक विशाल क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से प्रबंधित करना मुश्किल हो रहा था. प्रशासनिक सुविधाओं के लिए ऐसे क्षेत्रों को अलग किया गया, जो मूल रूप से बंगाल के हिस्से से नहीं थे. इसलिए 22 मार्च 1912 को बिहार और उड़ीसा के नए प्रांत का गठन किया गया था. उस समय बिहार और उड़ीसा का नया प्रांत कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में था. 9 फरवरी 1916 को, भारत सरकार अधिनियम, 1915 की धारा 113 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, इंग्लैंड के राजा ने पटना के उच्च न्यायालय का गठन करने के लिए पत्र जारी किए. उड़ीसा को पटना उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में रखा गया था. हालांकि, 18 मई 1916 को, उड़ीसा के लिए पटना उच्च न्यायालय के सर्किट कोर्ट ने कटक में अपनी पहली बैठक आयोजित की. वर्ष 1936 में उड़ीसा को एक अलग प्रांत घोषित किया गया (History of Orissa High Court).