मोहन भागवत ने कहा कि भारत की भौगोलिक सीमाएं मणिपुर ब्रह्मदेश से लेकर अफगानिस्तान तक विस्तृत हैं, जहाँ विभिन्न प्रदेशों और राजाओं का उल्लेख मिलता है. इन राज्यों के राजा और उनकी प्रजा का गहरा संबंध था, और यहाँ तीर्थ स्थलों का भी विशेष स्थान था.