भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के 40 साल बाद एक और भारतीय अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहा है. ये हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जो अगले महीने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाएंगे. इस मिशन के दौरान शुभांशु दो खास ओमेगा स्पीडमास्टर घड़ियां पहनेंगे जो अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों को झेलने के लिए खास तौर पर डिज़ाइन की गई हैं. ये घड़ियां न सिर्फ समय बताएंगी, बल्कि अंतरिक्ष में उनके मिशन को आसान बनाने में भी मदद करेंगी.
ओमेगा घड़ियों की अंतरिक्ष यात्रा में अहम भूमिका
शुभांशु शुक्ला को Axiom-4 मिशन के लिए दो ओमेगा स्पीडमास्टर घड़ियां दी जाएंगी. पहली है X-33 स्काईवॉकर जिसे वे अंतरिक्ष यान के अंदर पहनेंगे और दूसरी है मैनुअल वाइंडिंग स्पीडमास्टर प्रोफेशनल मूनवॉच जो अंतरिक्ष में बाहर निकलने (एक्स्ट्राव्हीकुलर एक्टिविटी या EVA) के दौरान काम आएगी. Axiom स्पेस ने इस साझेदारी पर खुशी जताते हुए कहा कि हम Ax-4 मिशन के लिए तैयार हैं और ओमेगा की घड़ियों को एक बार फिर अंतरिक्ष में ले जाने के लिए उत्साहित हैं. यह परंपरा 60 साल पहले NASA द्वारा स्पीडमास्टर को प्रमाणित करने के साथ शुरू हुई थी.
इन घड़ियों को अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है. ये घड़ियां माइक्रोग्रैविटी, तापमान में भारी उतार-चढ़ाव, 40G तक के झटके, वैक्यूम, जंग और 1.6 वायुमंडल के दबाव को सहन कर सकती हैं. ओमेगा की स्पीडमास्टर घड़ी को 1965 में NASA ने सभी मानव मिशनों के लिए प्रमाणित किया था और तब से यह अंतरिक्ष यात्रियों की पहली पसंद बनी हुई है.
Ax-4 मिशन: भारत के लिए गर्व का पल
शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के पायलट होंगे जो 8 जून, 2025 को NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा. यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए खास है क्योंकि इन तीनों देशों के पहले सरकारी अंतरिक्ष यात्री 40 साल बाद ISS पर जा रहे हैं. इस मिशन में 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग होंगे जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय जोड़ेंगे.
शुभांशु भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं और उनके पास 2,000 घंटे से ज्यादा उड़ान का अनुभव है. वो ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं. इस मिशन को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन कमांड करेंगी जो पहले भी कई अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा रह चुकी हैं.
अंतरिक्ष में समय का महत्व
अंतरिक्ष में समय का सटीक हिसाब रखना बेहद जरूरी है. ये घड़ियां अंतरिक्ष यात्रियों को उनके कार्यों, प्रयोगों और संचार के समय को सही ढंग से मैनेज करने में मदद करती हैं. ओमेगा की घड़ियां अपनी सटीकता और भरोसेमंदी के लिए जानी जाती हैं जो अंतरिक्ष जैसे जोखिम भरे माहौल में बेहद जरूरी है. बता दें कि शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा. उनकी यह यात्रा न सिर्फ वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा देगी बल्कि देश के युवाओं को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में प्रेरित भी करेगी. शुभांशु ने पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मैं इस मिशन के जरिए अपने देश की नई पीढ़ी में जिज्ञासा जगाना चाहता हूं ताकि वे भी ऐसे मिशनों का हिस्सा बन सकें.