Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र के पावन अवसर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्र 9 की जगह 10 दिनों की है, जिसमें देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. इसके अलावा, इस दौरान मां की कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी अत्यधिक शुभ माना जाता है.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष फल मिलता है. लेकिन इसके लिए विधि-विधान और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है. ज्योतिषियों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय हैं. इन 13 अध्यायों को पूरे विधि विधान और नियम अनुसार पढ़ना चाहिए. तो चलिए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का क्या महत्व है और साथ ही जानते हैं इनके अलग अलग अध्यायों का भी महत्व.
क्या है दुर्गा सप्तशती का महत्व?
मान्यताओं के अनुसार, वेदों की तरह दुर्गा सप्तशती भी अनादि है. मार्कण्डेय पुराण के माध्यम से दुर्गा सप्तशती लोगों तक पहुंची. देवी मां की उपासना के लिए ये सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है. इसमें देवी की उपासना से 700 श्लोकों दिए गए हैं. ये 700 श्लोक तीन भागों में बांटें गए हैं. ये 3 भाग कुछ इस प्रकार है- प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र. दुर्गा सप्तशती तंत्र साधना का एक बड़ा और गूढ़ ग्रंथ भी माना जाता है. यहां मारन, मोहन, वशीकरण जैसे तांत्रिक मंत्र भी शामिल हैं, इसलिए इसका सही तरीके से पाठ करना जरूरी होता है, वरना मंत्र काम नहीं करते.
दुर्गा सप्तशती से लाभ-
1. प्रथम अध्याय का पाठ करने से आपके सारे तनाव और डर दूर होते हैं, और शत्रुओं का भय कम होता है.
2. दूसरे और तीसरा अध्याय, इन दोनों अध्यायों के पाठ से मुकदमों और झूठे आरोपों से छूटकारा मिल सकता है.
3. चौथे अध्याय का पाठ करने से अच्छा जीवन साथी मिलता है और भक्ति बढ़ती है.
4. पांचवें अध्याय से नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष दूर होता है.
5. छठे अध्याय का पाठ बड़ी-बड़ी बाधाओं को हटाता है.
6. सातवें से आपकी गोपनीय मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
7. नौवें और दसवें अध्याय से संपत्ति, गुमशुदा का पता और संतान सुख मिलता है.
8. ग्यारहवें अध्याय से व्यापार में सफलता मिलती है.
9. बारहवें से रोग-बीमारी दूर होती है.
10. तेरहवें अध्याय से देवी की विशेष कृपा और हर तरह की रक्षा मिलती है.