कुंडली में चन्द्रमा और बुध की स्थिति ईर्ष्या के बारे में बताती है. इसके अलावा चतुर्थ और सप्तम भाव से भी ईर्ष्या का सम्बन्ध होता है. चन्द्रमा दूषित हो तो ईर्ष्या का जन्म होता है और यह ईर्ष्या खुद को नुकसान पंहुचाती है. बुध की गड़बड़ी से ईर्ष्या के साथ खराब विचार का जन्म होता है और इस ईर्ष्या में व्यक्ति दूसरे को नुकसान पंहुचाता है. शनि इस ईर्ष्या को टिकाये रखता है और बृहस्पति ईर्ष्या को नष्ट कर देता है.
ईर्ष्या करने के परिणाम क्या होते हैं?
- कुंडली का चन्द्रमा और ख़राब होता है
- मानसिक समस्याएं परेशान करती हैं
- बुध और भी ज्यादा कमजोर होता है
- इससे व्यक्ति भ्रम का शिकार होकर गलतियां करता है
- ईर्ष्या करने वाले लोग अपयश के भागी होते हैं
- और कुछ न कुछ स्वास्थ्य की समस्याएं लगी रहती हैं
ईर्ष्या की प्रवृत्ति होने पर क्या उपाय करें?
- रोज स्नान करें, हल्की सुगंध लगाएं
- नित्य प्रातः और सायं शिव जी की उपासना करें
- नमः शिवाय का यथाशक्ति जप करें
- गले में एक तुलसी की माला अवश्य धारण करें
- अग्नि तत्व के रत्न धारण न करें
- मन में ईर्ष्या होने पर शिव शिव कहें
ईर्ष्या की भावना जन्म ही न ले, इसके लिए क्या करें?
- आरंभ से ही गायत्री मन्त्र का जप करने का अभ्यास करें
- आहार पर विशेष ध्यान दें
- एक सोने या पीतल का छल्ला तर्जनी अंगुली में धारण करें
- पीपल के वृक्ष में जल डालें
- इसके नीचे नियमित रूप से बैठने का अभ्यास करें.