scorecardresearch
 

दुख दरिद्र से मुक्ति दिलाएंगे शनिदेव, प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा

आम जीवन में सही और गलत कर्म करना व्यक्ति के हाथ में और उस अच्छे बुरे कर्मों का फल शनि देव के हाथों में होता है. शनि ग्रह को कर्म का कारक माना गया है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

आम जीवन में सही और गलत कर्म करना व्यक्ति के हाथ में और उस अच्छे बुरे कर्मों का फल शनि देव के हाथों में होता है. शनि ग्रह को कर्म का कारक माना गया है.

शनि ग्रह को कुंडली में दशम भाव और अष्टम भाव के साथ आजीविका और मृत्यु का कारक भी माना गया है. यही वजह है कि कुंडली में शनि की स्थिति के शुभ हुए बिना किसी व्यक्ति को रोजगार मिलना और उसका स्वस्थ रहना बेहद मुश्किल होता है.

शनि गलत करने पर किसी भी व्यक्ति को दंड देने में किसी भी तरीके का भेदभाव नहीं करते हैं. यही वजह है कि ज्यादातर लोग भय के कारण भी शनि की उपासना करते हैं और उन्हें मनाने का प्रयास करते रहते हैं.

शनि के अशुभ लक्षणों को कैसे पहचाने-

Advertisement

-जन्मकुंडली में शनि यदि मेष राशि अर्थात अपनी नीच राशि मे स्थित हो

- हमेशा नौकरी में कोई न कोई परेशानी बनी रहती हो

- यदि किसी असाध्य रोग ने घेर लिया हो

- अचानक आप पर सरकारी कोई जुर्माना लग जाये

- परिवार में शाम के बाद अकारण कलह होने लगे

कौन सी आदतों में बदलाव करके शनि को शुभ करें-

- रोज रात के समय देर तक न जागे

- अपने माता पिता का सम्मान करें

- किसी भी हरे भरे पीपल या बरगद के पेड़ को न काटे

-घर की पश्चिम दिशा को साफ सुथरा रखें और भूलकर भी वहां पानी न रखें

- किसी भी तरह गलत व्यक्ति या अपराधी का साथ न दें

-किसी जरूरतमंद या निर्धन व्यक्ति का धन न हड़पे

शनि को प्रसन्न करने का महाउपाय-

-किसी भी शनिवार के दिन शनि की पूजा या तो सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद ही करें

-हर शनिवार के दिन शाम के समय जरूरतमंद लोगों को सरसों के तेल से बना खाना अवश्य खिलाएं

- पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल या सरसों के तेल का दीया अवश्य जलाएं और सात परिक्रमा करें

- रोज सूर्यास्त के बाद एक रुद्राक्ष की माला से शनि के मंत्र का जाप करें

Advertisement

" ॐ शं शनिश्चराये नमः "

Advertisement
Advertisement