भारत सदियों से आध्यात्मिक रूप से संपन्न देश रहा है. यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींचते हैं.
जम्मू-कश्मीर में कटरा के निकट त्रिकूट पहाड़ी पर स्थिति माता वैष्णो देवी का दरबार भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में अहम स्थान रखता है.
त्रिकूट पर्वत पर एक अत्यंत प्राचीन और भव्य गुफा है. इस गुफा में प्राकृतिक रूप से तीन पिंडियां बनी हुई हैं. ये पिंडी देवी महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली की हैं. श्रद्धालु तमाम मुश्किलें उठाकर माता के दरबार में पहुंचते हैं और पिंडियों के दर्शन करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि जब माता का बुलावा आता है, तभी भक्त उनकी दरबार में हाजिर लगा पाते हैं. श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्टेशन बन जाने से अब ट्रेन से सीधे यहां तक पहुंचा जा सकता है.
कटरा स्टेशन पर हर वक्त श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. यहां की सुरक्षा-व्यवस्था भी एकदम दुरुस्त है.
कटरा स्टेशन से त्रिकूट पहाड़ी बहुत ही मनोहारी नजर आती है.
भक्तिभाव से परिपूर्ण श्रद्धालु ऐसे पावन और सुंदर दृश्य देखकर अपने कदम रोक नहीं पाते. लोग जल्द से जल्द यात्रा शुरू कर देना चाहते हैं.
यात्रा की शुरुआत करने से पहले हर किसी को कटरा स्थित रजिस्ट्रेशन ऑफिस से नि:शुल्क पर्ची लेनी होती है, जहां उनका नाम, पता आदि दर्ज किया जाता है. सफर की शुरुआत बेस कैंप के पास बाणगंगा से होती है.
बेस कैंप तक तो किसी भी सवारी से जाया जा सकता है, पर इससे आगे घोड़ा, टट्टू, पालकी आदि की सुविधा मौजूद है. हेलीकॉप्टर से सांझी छत तक जाने की सुविधा है. सांझी छत माता के दरबार से काफी करीब है.
तमाम सुविधाओं के बावजूद ज्यादातर श्रद्धालु पैदल ही चढ़ाई करना पसंद करते हैं. पैदल यात्रा थोड़ी कठिन तो है, पर रमणीक वातावरण में मुश्किलों का एहसास नहीं होता है.
सुरभित माहौल में लोगों के पांव लगातार बढ़ते ही जाते हैं.
ऊपर से कटरा का नया स्टेशन भी नजर आ जाता है.
पहाड़ी से कटरा का दृश्य भी अत्यंत सुंदर नजर आता है.
एक वक्त था, जब पहाड़ी की चढ़ाई ज्यादा दुर्गम हुआ करती थी. पर अब रास्ता आसान है.
प्राकृतिक दृश्यों को देखकर लोग अपनी थकान भूल जाते हैं.
मौसम अनुकूल रहने पर यात्रा का आनंद दोगुना हो जाता है.
अगर भारी बारिश और बर्फबारी के समय को छोड़ दें, तो वैष्णो देवी की यात्रा करीब सालोंभर चलती रहती है.
आसपास फैले वन भक्तिमय वातावरण को और भव्यता प्रदान करते हैं.
प्रबंध का पूरा दायित्व माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड संभालता है.
यात्रियों की सुविधा के लिए पूरे रास्ते में टाइल्स लगे हुए हैं.
ऊंचाई पर रास्ते के दोनों ओर घेराबंद की गई है.
धूप और बारिश से बचने के लिए कई जगह शेड लगाए गए हैं.
त्रिकूट पहाड़ी ऊंचाई से और भी भव्यता का एहसास कराती है.
रास्ते में जगह-जगह स्टॉल लगे हैं, जहां से खाने-पीने की चीजें खरीदी जा सकती हैं. पीने के पानी और प्रसाधन का भी इंतजाम है.
'प्रेम से बोलो- जय माता दी' के जयकारे से इतना जोश भर जाता है कि छोटे-छोटे बच्चे भी करीब 14 किलोमीटर की चढ़ाई पैदल ही कर लेते हैं.
माता का भवन नजर आते ही लोगों का उत्साह बढ़ जाता है.
भवन नजर आते ही लोगों के चलने की रफ्तार अचानक तेज हो जाती है.
ऐसा मालमू पड़ता है, जैसे फौलाद जैसा इरादा रखना वाले लोग किसी अदृश्य चुंबक की ओर तेजी से खिंचे जा रहे हों.
हर ओर जयकारा गूंजने लगता है, 'भवन दिख गया, जय माता दी, जोर से बोलो- जय माता दी...'.
दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं. यहां टाइम के हिसाब से टोकन नंबर की व्यवस्था है, इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं होती है.
भवन के आसपास धर्मशालाएं भी हैं, जहां ठहरने की अच्छी व्यवस्था है.
माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर संचालित भोजनालय के अलावा कुछ अन्य होटल भी हैं.
बीच रास्ते में एक गुफा मंदिर मिलता है, जिसे अर्धकुंवारी के नाम से जाना जाता है. इस गुफा का रास्ता इतना संकरा है कि लोग एक-एक करके एकदम झुककर ही आगे बढ़ पाते हैं.
दर्शन से पहले मोबाइल और कीमती सामानों को जमा कराने के लिए क्लॉक रूम भी हैं.
माता के दरबार में पिंडियों के दर्शन के बाद लोग भैंरोनाथ के दर्शन करते हैं. भैंरो बाबा का मंदिर माता के भवन से भी अधिक ऊंचाई पर है. ऐसी मान्यता है कि माता के दर्शन के बाद भैंरोनाथ का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.
भवन के चारों ओर दिन-रात चहल-पहल और रौनक बनी रहती है.
एक बार दर्शन करके भी लोगों का जी नहीं भरता. लोग हर साल माता के दरबार में शीश झुकाने आना चाहते हैं.
हर दिन हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन बेहतर व्यवस्था की वजह से किसी को कोई खास परेशानी नहीं होती.
माता के भक्तों की तादाद हर साल बढ़ती ही जाती है. तिरुपति बालाजी के बाद देश में सबसे ज्यादा श्रद्धालु वैष्णो देवी के दरबार में ही आते हैं.
पहाड़ के शुरुआती चरण में भी एक भव्य मंदिर है, जिसके बाहरी भाग में हनुमानजी की विशाल प्रतिमा शोभती है.
जम्मू के अलावा कटरा में भी कई धर्मशालाएं हैं, जहां कम खर्च में अच्छी सुविधाएं मौजूद हैं.
कटरा में होटल का व्यवसाय भी खूब फल-फूल रहा है, जहां सालोंभर लोगों का आना-जाना लगा रहता है.
दिल्ली से कटरा के बीच श्री शक्ति एक्सप्रेस जैसी ट्रेन शुरू जाने से सफर और भी आरामदेह और आनंददायक हो गया है.