सोमवती अमावस्या का व्रत इस बार ज्यादा खास रहने वाला है. आज साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है. साथ ही शनि जयंती और व्रत सावित्री का व्रत भी है. इससे पहले सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को पड़ी थी. साल की आखिरी सोमवती अमावस्या पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इस शुभ घड़ी में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का कई गुना फल मिल सकता है.
ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है. इसके अलावा आज बुधादित्य, वर्धमान, सुकर्मा और केदार नाम के शुभ योग भी बन रहे हैं. इसके अलावा, वृषभ राशि में सूर्य और बुध के एकसाथ होने से बुधादित्य योग नाम का राजयोग भी बन रहा है. इस तरह आज पूरे 6 शुभ संयोग बन रहे हैं. ऐसे में भगवान शिव की विधिवत पूजा बहुत ज्यादा फलदायी साबित हो सकती है.
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. इस दौरान 30 मई को सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा और सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा. ये दोनों ही मुहूर्त पूजा के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं.
सोमवती अमावस्या की पूजन विधि
सोमवती अमावस्या के दिन शादीशुदा महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करके कमजोर चंद्रमा को बलवान किया जा सकता है. इस दिन पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें.
गायत्री मंत्र का पाठ करें और भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें. पूजा-पाठ के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र का दान करें.