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Shani Amavasya 2025: कृष्ण भक्ति से मिलेगी शनि के संकटों से लड़ने की शक्ति, साढ़ेसाती-ढैय्या से होगा बचाव

23 अगस्त को भादो की शनि अमावस्या है. यह साल की आखिरी शनि अमावस्या है. इस दिन श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें औैर विधिवत पूजा करें. इस उपाय को करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से व्यक्ति का बचाव होगा.

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शनि अमावस्या 2025 (Photo: Getty Images)
शनि अमावस्या 2025 (Photo: Getty Images)

Shani Amavasya 2025: शनि देव के न्याय का तरीका एकदम अलग है. वह पापियों को दंड देते हैं और सज्जनों को यशवान बनाते हैं. इसलिए ज्योतिषविद कहते हैं कि शनि के कष्टों से बचना है तो श्रीकृष्ण की भक्ति में रम जाएं. श्रीकृष्ण और शनि के बीच एक खास कनेक्शन पुराणों में भी मिलता है. शनि देव ने भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. तब कृष्णजी ने प्रसन्न होकर उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. तभी से ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्रीकृष्ण की भक्ति करते हैं, उन पर कभी शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव नहीं पड़ता है.

शनि का कृष्ण से संबंध
शनि देव श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं. न्याय, ईमानदारी और अनुशासन शनि में कृष्ण कृपा से ही आता है. कृष्ण के ध्यान में लीन रहने के कारण ही उन्हें अपनी पत्नी से श्राप मिला था. इसिलए जो लोग श्रीकृष्ण के भक्ति करते हैं, शनि की दृष्टि उन्हें छू भी नहीं पाती है.

शनि से बचाएगी कृष्ण भक्ति
23 अगस्त को भादो की शनि अमावस्या है. यह साल की आखिरी शनि अमावस्या है. इस दिन श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें. दोनों वेला उन्हें पीले फूल और तुलसी दल चढ़ाएं. भगवान और स्वयं को चंदन का तिलक जरूर लगाएं. दोनों हाथ उठाकर हरि कीर्तन करें. चाहें तो "कृष्ण कृष्ण" के नाम का जाप भी कर सकते हैं. इस दिन पूर्ण सात्विक रहें.

साढ़े साती या ढैय्या से कैसे होगा बचाव
यदि किसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या पीड़ा दे रही है तो श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण चित्र या मूर्ति स्थापित करें. भगवान को चंदन, पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. कृष्ण मंत्र का दोनों वेला कम से कम 108 बार जाप करें. मंत्र होगा-"ऊं कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो-नमः।।"

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अशुभ शनि को शुभ करने के उपाय
अशुभ शनि को ठीक करने के लिए आचरण, आहार और व्यवहार शुद्ध रखना चाहिए. स्वच्छता और धर्म का पालन करें. भगवान शिव या भगवान कृष्ण की नियमित पूजा करें. देर तक सोने और देर रात तक जागने से बचें. हल्के नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें. नियमित रूप से शनि मंत्रों का जाप करें. मंत्र होगा- 'ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः'

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