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Pitru Paksha 2025: क्या होता है पंचबली श्राद्ध? जानें क्यों निकाला जाता है 5 जगहों पर पितरों का खाना

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष 7 सितंबर यानी कल से शुरू हो रहे हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह 15 दिन बहुत ही विशेष होते हैं. कहा जाता है कि इन दिनों पितर धरती लोक पर वास करते हैं.

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पितृ पक्ष में पंचबलि श्राद्ध बहुत विशेष होता है (Photo: ITG)
पितृ पक्ष में पंचबलि श्राद्ध बहुत विशेष होता है (Photo: ITG)

Pitru Paksha 2025: आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और इनका समापन 21 सितंबर, सर्वपितृ अमावस्या के दिन पर होगा. पितृ पक्ष का समय हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है. इन दिनों पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की कामना के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं. मान्यता है कि अगर पितृ नाराज हो जाएं तो जीवन में तरक्की के रास्ते रुकने लगते हैं. इसलिए हर साल पितृ पक्ष में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए विशेष विधियों से श्राद्ध का आयोजन होता है. यह अवधि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर अमावस्या तक चलती है.

पूर्वज किन रूपों में आते हैं?

धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पशु-पक्षियों के रूप में धरती पर आते हैं. वे हमारे द्वारा किए गए कर्मों और अर्पित आहार को स्वीकार करते हैं और फिर आशीर्वाद देकर जाते हैं. खासतौर पर गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी को पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है. इन जीवों के लिए भोजन का अंश निकालना ही महाबलि कर्म कहलाता है.

महाबलि और पंचबलि कर्म क्या है?

श्राद्ध के समय जब हम भोजन बनाते हैं तो उसमें से कुछ हिस्सा पितरों के लिए अलग रखा जाता है. यही अंश गाय, कुत्ते, चींटी, कौवे और देवताओं को अर्पित किया जाता है. इन पांचों के लिए भोजन का हिस्सा निकालकर जो अर्पण किया जाता है, उसे पंचबलि कर्म कहा जाता है. यह बलि किसी प्राणी की बलि नहीं है, बल्कि पांच रूपों में आहार अर्पित करने की परंपरा है, जिससे पितरों की तृप्ति मानी जाती है.

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पंचबलि कर्म की विधि

सबसे पहले हवन कुंड या उपले में अग्नि जलाएं और भोजन की तीन आहुति दें. इसके बाद पूरे श्राद्ध भोजन में से पांच हिस्से अलग कर लें. गाय, कुत्ते और चींटी के लिए पत्ते पर भोजन निकालें. कौवे के लिए आहार जमीन या छत पर रखें और देवताओं के लिए विशेष अर्पण करें. इसके बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं.

पंचबलि में क्यों पांच तत्व होते हैं महत्वपूर्ण? 

पंचबलि का आधार पांच तत्वों पर टिका है. कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व की प्रतीक मानी जाती है, कौवा वायु का प्रतीक है, गाय पृथ्वी की प्रतिनिधि है और देवता आकाश के प्रतीक हैं. इस तरह से भोजन अर्पण कर हम पांचों तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर इन्हीं पंचतत्वों से निर्मित है और मृत्यु के बाद यही शरीर दोबारा इन्हीं तत्वों में विलीन हो जाता है.

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