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Indira Ekadashi 2022: इंदिरा एकादशी कब है? इस दिन हरगिज ना करें ये 5 काम

Indira Ekadashi Date: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इंदिरा एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है.

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Indira Ekadashi 2022: कब है इंदिरा एकादशी? इस दिन हरगिज ना करें ये 5 काम
Indira Ekadashi 2022: कब है इंदिरा एकादशी? इस दिन हरगिज ना करें ये 5 काम

Indira Ekadashi 2022 Date: व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. इसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इंदिरा एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. आइए आपको इंदिरा एकादशी का महत्व, तिथि और सावधानियों के बारे में बताते हैं.

इंदिरा एकादशी का महत्व?
एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या उनके अवतार होते हैं. इस व्रत से मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते है.
पाप नाश और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भी इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत के प्रताप से पापों का नाश तो होता ही है, साथ में पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है. इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 20 सितंबर को रात 09 बजकर 26 मिनट से लेकर 21 सितंबर को रात 11 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के कारण इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर को ही रखा जाएगा. जबकि व्रत का पारण 22 सितंबर को होगा.

इंदिरा एकादशी व्रत की सावधानी
1. इंदिरा एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठने का प्रयास करें. घर में लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं.
2. एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का प्रयोग करें, काले या नीले वस्त्र न पहनें
4. एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल रखें. घर में लड़ाई, झगड़े का माहौल बनाकर ना रखें.
5. एकादशी के व्रत में चावल खाने से परहेज करें. इसमें पालक, बैंगन और मसूर की दाल भी नहीं खानी चाहिए.

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इंदिरा एकादशी की पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें. फिर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की आराधना करें. उनको पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. आप फल भी अर्पित कर सकते हैं. भगवान का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें. पूर्ण रूप से जलीय आहार या फलाहार लें तो इसके परिणाम और भी उत्तम होंगे. इस दिन फलाहार का दान करें और गाय को भी फल आदि खिलाएं. अगले दिन सुबह निर्धन लोगों को भोजन कराएं. वस्त्र आदि का दान करें और स्वयं भोजन करके व्रत का समापन करें.

 

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