scorecardresearch
 

Dhanteras 2025: कैसे फूट गई थी धन के देवता कुबेर की आंख? पढ़ें स्वर्ग के कोषाध्यक्ष की कहानी

Dhanteras 2025: इस साल धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार, भगवान कुबेर ने हजारों वर्षों तक शिवजी की साधना की थी. जब भगवान शिव ने दिव्य शक्ति उमा के भव्य रूप के साथ कुबेर को दर्शन दिए तो एक क्षण ऐसा आया, जब कुबेर की एक आंख फूट गई थी.

Advertisement
X
जानें, कैसे फूट गई थी धन के देवता भगवान कुबेर की आंख. (Photo: AI Generated)
जानें, कैसे फूट गई थी धन के देवता भगवान कुबेर की आंख. (Photo: AI Generated)

Dhanteras 2025: धनतेरस का त्योहार आने वाला है. इस साल धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन धन के अधिपति और स्वर्ग के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा का विधान है. ब्रह्मा के मानस पुत्र पुलस्त्य से विश्रवा का जन्म हुआ और विश्रवा के पुत्र ही कुबेर थे. बहुत से लोग यह बात नहीं जानते होंगे कि भगवान कुबेर की एक आंख सोने की थी. आइए आज इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

कुबेर ने हजारों वर्ष तक की शिव की तपस्या
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुबेर जी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या का संकल्प लिया. वह भगवान शिव द्वारा प्रकाशित काशी नगरी गए और मन के रत्नमय दीपों से ग्यारह रुद्रों का आह्वान कर साधना करने लगे. कुबेर ने वहां एक शिवलिंग स्थापित किया और भक्ति में लीन हो गए. कहते हैं कि कुबेर ने हजारों वर्षों तक शिवलिंग का पूजन किया था. तब शिवजी ने अपनी दिव्य शक्ति उमा के भव्य रूप में कुबेर को दर्शन दिए.

जब भगवान शिव ने कुबेर को संबोधित किया तो कुबेर ने अपनी आंख खोल ली. शिवजी का तेज सूर्य के समान था. उनके सिर पर सजा चंद्रमा अपनी चांदनी बिखेर रहा था. उनके तेज से कुबेर की आंखें बंद हो गई. तब कुबेर ने भगवान शिव से प्रार्थना कर कहा कि मुझे दिव्य दृष्टि दें ताकी मैं आपका तेज देख सकूं.

Advertisement

लेकिन दिव्य दृष्टि मिलने के बाद कुबेर अपनी बड़ी आंखो से शिव की शक्ति उमा को देखने लगे. तब कुबेर को शिव के साथ एक सर्वांग सुंदरी भी दिखाई दी. ये उमा ही थीं. तब कुबेर के मन में विचार आया कि इस सुंदरी ने ऐसा कौन सा तप किया होगा जो ये महादेव के इतने समीप और भाग्यशाली है.

कुबेर लगातार उस सुंदरी को देखते रहे. तब देवी उमा को क्रोध आया और उनके तेज से कुबेर की आंख फूट गई. हालांकि तब शिव ने उमा को शांति कराया और बताया कि वो एक भक्त और आपके तेज व बल को समझने का प्रयास कर रहा है. इसके बाद भगवान शिव ने कुबेर से कहा कि मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं और तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम यक्षों और धन के अधिपति बनो.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement