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'सेवा' की आड़ में कैदखाना! जयपुर के NGO में बंधक बनाए 18 लोग आजाद, महिलाओं के साथ होती थी हदें पार

जयपुर के झोटवाड़ा स्थित 'मेरी पहल' एनजीओ में मानवाधिकार उल्लंघन का खुलासा हुआ है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जयपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 11 महिलाओं और 7 पुरुषों सहित 18 लोगों को अवैध कैद से मुक्त कराया गया. पीड़ितों ने मारपीट, जबरन मजदूरी और भोजन न देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. मामले की जांच जारी है.

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18 लोगों को अवैध कैद से मुक्त कराया गया.(Photo: Vishal Sharma/ITG)
18 लोगों को अवैध कैद से मुक्त कराया गया.(Photo: Vishal Sharma/ITG)

जयपुर के झोटवाड़ा इलाके में स्थित 'मेरी पहल' नामक एनजीओ में सेवा और पुनर्वास के नाम पर कथित तौर पर लोगों को बंधक बनाए जाने का गंभीर मामला सामने आया है. बुधवार देर रात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जयपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में संस्था परिसर से 18 महिला-पुरुषों को अवैध कैद से मुक्त कराया गया. इनमें 11 महिलाएं और 7 पुरुष शामिल हैं, जिन्हें 8 महीने से लेकर 3 साल तक यहां रखा गया था.

यह कार्रवाई उस समय की गई जब एनजीओ में रह रहे लोगों की स्थिति को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं. रेस्क्यू के बाद सामने आए आरोपों ने न केवल संस्था की कार्यप्रणाली, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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शाम 7 बजे शुरू हुई कार्रवाई, CCTV निगरानी से चौंकी टीम

बुधवार शाम करीब 7 बजे दो दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम झोटवाड़ा स्थित एनजीओ परिसर पहुंची. परिसर में प्रवेश करते ही जांच टीम असामान्य सुरक्षा व्यवस्था देखकर हैरान रह गई. मुख्य गेट और पीछे की ओर मिलाकर 20 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिनसे हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी.

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जांच में यह सामने आया कि कैमरों का मकसद सुरक्षा से ज्यादा परिसर में रखे गए लोगों की निगरानी करना था. संस्था के भीतर जाने के बाद पुलिस और विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ने हालात को गंभीर मानते हुए तत्काल रेस्क्यू की कार्रवाई शुरू की.

बाउंसरों की निगरानी, मारपीट और जबरन मजदूरी

रेस्क्यू किए गए लोगों ने जांच टीम के सामने चौंकाने वाले आरोप लगाए. पीड़ितों के अनुसार उन्हें बाउंसरों की निगरानी में रखा जाता था और विरोध करने पर लाठी-डंडों से पिटाई की जाती थी. उनसे जबरन काम कराया जाता था, लेकिन इसके बदले कभी कोई मेहनताना नहीं दिया गया.

कई पीड़ितों ने बताया कि आदेश न मानने या सवाल उठाने पर उन्हें खाना तक नहीं दिया जाता था. लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने से कई लोग मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके थे.

महिलाओं से अश्लील व्यवहार का आरोप

एक बुजुर्ग पीड़ित ने संस्था से जुड़े एक व्यक्ति पर बंधक महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार करने का गंभीर आरोप लगाया है. पीड़ित का कहना है कि महिलाओं द्वारा विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की जाती थी और उन्हें भूखा रखा जाता था.

इन आरोपों के बाद जांच एजेंसियां साक्ष्य जुटाने में लगी हुई हैं. पुलिस का कहना है कि सभी बिंदुओं पर गंभीरता से जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.

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रेलवे स्टेशन से उठाकर लाए गए लोग, सालों तक कैद

जांच में यह भी सामने आया कि कई पीड़ितों को रेलवे स्टेशन और शहर के अलग-अलग इलाकों से उठाकर एनजीओ में लाया गया था. भरतपुर निवासी बालकृष्ण को जनवरी 2023 में रेलवे स्टेशन से लाया गया था. उससे सभी कैद लोगों के लिए खाना बनवाया जाता था, लेकिन न तो उसे पैसे दिए गए और न ही उसका नाम किसी रिकॉर्ड में दर्ज था.

जयपुर

इसी तरह उत्तर प्रदेश के दिलीप को 35 महीने, धौलपुर के राजेश, गंगापुर सिटी के इंद्र, यूपी के महाराजगंज के रंजन व शंकरलाल और बिहार के सासाराम के बाबूलाल को 8 महीने से लेकर 3 साल तक कैद में रखा गया था.

लव मैरिज करने वाली युवतियां भी रहीं बंधक

बंधक बनाए गए लोगों में दो ऐसी युवतियां भी शामिल थीं, जिन्होंने लव मैरिज की थी. परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने उन्हें नारी निकेतन भेजने के बजाय 'मेरी पहल' संस्था में रख दिया. इनमें से एक युवती चौमू की निवासी है, जिसने डॉक्टर की पढ़ाई पूरी की है.

युवती ने परिजनों के साथ जाने से इनकार किया था, इसके बावजूद उसे एनजीओ भेज दिया गया. झोटवाड़ा और चौमू थाना पुलिस के पत्रों के आधार पर दो अन्य युवतियों को भी यहां रखा गया था. रेस्क्यू किए गए लोगों ने संबंधित थाना पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.

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रिकॉर्ड में गड़बड़ी, पुनर्वास सिर्फ नाम का

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने संस्था के रजिस्टर जब्त कर जांच की. इसमें कई अनियमितताएं सामने आईं. कुछ नाम रजिस्टर में थे लेकिन मौके पर मौजूद नहीं मिले, जबकि कई मौजूद लोगों के नाम दर्ज ही नहीं थे.

संस्था खुद को भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बताती रही, लेकिन वास्तविक रूप से वहां किसी तरह का पुनर्वास या कौशल विकास कार्य नहीं हो रहा था. मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए न चिकित्सा सुविधा थी और न ही मनोवैज्ञानिक देखभाल.

10.30 बजे खत्म हुई कार्रवाई, पीड़ितों को सुरक्षित भेजा गया

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्री ने बताया कि जयपुर पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एसीपी हनुमान मीणा के नेतृत्व में संयुक्त टीम बनाई गई थी. कार्रवाई शाम 7.15 बजे शुरू होकर रात 10.30 बजे तक चली.

रेस्क्यू किए गए सभी लोगों को पुलिस वैन से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है, जहां उनका मेडिकल परीक्षण और महिला काउंसलरों द्वारा काउंसलिंग कराई जाएगी. फिलहाल पीड़ितों को उनके घर भेजने की प्रक्रिया जारी है.

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