केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जो कहते हैं उसे आज की तारीख में पत्थर की लकीर मान लिया जाता है. अकसर वो जो कहते हैं उसे सही साबित करके दिखाते हैं. विशेषकर अपने राजनीतिक अभियान में तो वो बिल्कुल खरे साबित होते दिखा रहे हैं. अब उन्होंने दावा किया है कि 2026 में तमिलनाडु में भगवा लहराएगा. उनका कहना है कि यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनेगी. हालांकि पिछले चुनावों को आधार माने तो अभी ये दूर की कौड़ी नजर आती है. पर चूंकि शाह इस तरह की भविष्यवाणियां यूं ही नहीं करते हैं इसलिए ये सोचना जरूरी हो जाता है कि आखिर उनकी दावे के पीछे आधार क्या है?
वैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीति, तमिलनाडु का बदलता राजनीतिक परिदृश्य और केंद्र सरकार की नीतियों के प्रभाव का परिणाम शाह के दावे को फलीभूत भी कर सकता है. इसलिए यह दावा केवल एक राजनीतिक बयान नहीं रह जाता है बल्कि यह भाजपा की दीर्घकालिक रणनीति, क्षेत्रीय गठबंधनों, और तमिलनाडु के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की संभावनाओं पर आधारित है. आइये देखते हैं कि वो कौन से कारण हैं जिसके चलते गृहमंत्री की बातें सही साबित होने की उम्मीद जगती है.
1. भाजपा और AIADMK का गठबंधन
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि पिछले 4 दशकों से तमिलनाडु में दो ध्रुवीय राजनीति हो रही है. एक छोर पर एआईएडीएमके है तो दूसरे छोर पर डीएमके है. अमित शाह के दावे का एक प्रमुख आधार भाजपा और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के बीच फिर से गठबंधन होना है. तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने AIADMK के साथ गठबंधन की घोषणा की है, जो राज्य की एक प्रमुख द्रविड़ पार्टी है. यह गठबंधन 2023 में टूट गया था, लेकिन हाल के महीनों में दोनों पार्टियों ने फिर से हाथ मिलाया है. इस गठबंधन का महत्व इसलिए है क्योंकि AIADMK का तमिलनाडु में मजबूत जनाधार है, विशेष रूप से ग्रामीण और दक्षिणी क्षेत्रों में. 2011 से 2021 तक AIADMK ने लगातार दो कार्यकाल तक शासन किया, और 2021 के चुनाव में भी उसने 66 सीटें जीतीं, जो उसे एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शक्ति बनाती है.
अमित शाह ने इस गठबंधन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. AIADMK नेता ई. पलानीस्वामी के साथ केवल दिल्ली में मुलाकात ही नहीं बल्कि उनके चक्कर में बीजेपी के स्टार लीडर बन चुके प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की बीजेपी ने बलि भी ले ली. दरअसल अन्नामलाई ने पहले AIADMK को भ्रष्ट कहा था, जिससे दोनों दलों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हुआ था. फिलहाल अब यह मामला सुलझा लिया गया है. उम्मीद की जाती है कि यह गठबंधन डीएमके के खिलाफ एक मजबूत विकल्प बन कर उभरेगा.
2-गठबंधन में चुनाव लड़ना बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर है फायदेमंद
भाजपा और AIADMK का गठबंधन तमिलनाडु में डीएमके के खिलाफ एक मजबूत विकल्प प्रस्तुत कर सकता है. AIADMK का ग्रामीण क्षेत्रों, विशेष रूप से दक्षिणी और पश्चिमी तमिलनाडु में मजबूत जनाधार है. 2021 के चुनाव में AIADMK ने 66 सीटें जीती थीं, और यदि भाजपा का शहरी और मध्यम वर्ग का वोट बैंक इससे जुड़ता है, तो यह डीएमके के लिए खतरा बन सकता है.
दोनों दलों के अलग-अलग वोट बैंक मिलकर एक मजबूत ताकत बन सकते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11.24% और AIADMK को 20.46% वोट मिले, यानी संयुक्त रूप से लगभग 31.7% वोट. डीएमके को अकेले 26.93% वोट मिले थे. जाहिर है कि यदि ये दोनों दल एक साथ होते, तो उनका संयुक्त वोट शेयर डीएमके से अधिक होता. उदाहरण के लिए, कोयंबटूर में भाजपा के के. अन्नामलाई को 5.6 लाख और AIADMK को 2.4 लाख वोट मिले, जो डीएमके (4.7 लाख) से अधिक था. यदि गठबंधन होता, तो यह सीट जीती जा सकती थी.
इसी तरह 2021 विधानसभा चुनाव में भाजपा को 8.9% और AIADMK को 33.3% वोट मिले, यानी संयुक्त रूप से 42.2% वोट. डीएमके को 40.6% वोट मिले, लेकिन गठबंधन की कमी और सीट बंटवारे की रणनीति के कारण AIADMK-भाजपा अलग-अलग 66 और 4 सीटें ही जीत सका.
2014 लोकसभा चुनाव में, जब भाजपा ने पीएमके और डीएमडीके के साथ गठबंधन किया था, तब उसे 5.59% वोट के साथ कन्याकुमारी सीट जीती थी. AIADMK जैसे बड़े दल के साथ गठबंधन 2026 में कई सीटों पर जीत सुनिश्चित कर सकता है, खासकर कोयंबटूर, तिरुनेलवेली, और चेन्नई जैसे क्षेत्रों में.
3- डीएमके सरकार के खिलाफ असंतोष
डीएमके सरकार, जो 2021 में सत्ता में आई, कई मुद्दों पर आलोचना का सामना कर रही है, जिसके चलते एंटी-इंकंबेंसी को बढ़ावा मिलना तय है. अमित शाह ने डीएमके पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. अन्नामलाई ने भी सरकार के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलाया. भाजपा और AIADMK, डीएमके पर भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हैं. उदाहरण के लिए, एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को डिप्टी सीएम बनाए जाने की अटकलों ने विपक्ष को यह कहने का मौका दिया है कि डीएमके परिवार-केंद्रित शासन चला रही है. इसके अलावा, कुछ मंत्रियों और स्थानीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जो जनता के बीच असंतोष पैदा कर सकते हैं.
तमिलनाडु में डीएमके के शासन के दौरान कई विवादास्पद मुद्दे सामने आए हैं, जैसे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू न करना, जिसके कारण केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों के लिए 2,152 करोड़ रुपये की राशि रोक दी है. इसके अलावा, डीएमके पर हिंदी थोपने के आरोपों ने भी जनता के बीच असंतोष पैदा किया है, जिसे भाजपा अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है.
शाह ने दावा किया है कि डीएमके ने अपने 2021 के घोषणापत्र में किए गए 510 वादों में से केवल 10% ही पूरे किए हैं. इनमें महिलाओं के लिए मासिक वित्तीय सहायता, बेरोजगारी भत्ता, और सस्ती रसोई गैस जैसी योजनाएं शामिल हैं. डीएमके ने कुछ लोकप्रिय योजनाएं लागू की हैं, जैसे कि महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा (विदास योजना), लेकिन कई अन्य वादों पर प्रगति धीमी रही है. यह जनता, विशेष रूप से युवाओं और निम्न-मध्यम वर्ग, में निराशा का कारण बन सकता है.
4. भाजपा की बढ़ती ताकत और संगठनात्मक रणनीति
यह भाजपा की संगठनात्मक रणनीति का ही कमाल है कि बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनावों में 11.4 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने केवल 3.66 प्रतिशत ही वोट हासिल किए थे. 2021 विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 8.9 प्रतिशत वोट हासिल किया था पर यह भी 2016 विधानसभा चुनावों के 2.8 प्रतिशत से काफी बेहतर था. मतलब साफ है कि बीजेपी की प्रगति इस राज्य में हर चुनावों में दिख रही है.
भाजपा ने तमिलनाडु में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. अमित शाह ने कोयंबटूर, तिरुवन्नामलाई, और रामनाथपुरम में भाजपा के जिला कार्यालयों का उद्घाटन किया, जो पार्टी के विस्तार की रणनीति का हिस्सा है. इसके अलावा, शाह ने मदुरै में 10,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और उन्हें एकजुट होकर डीएमके के खिलाफ अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया.
भाजपा ने तमिलनाडु में अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए स्थानीय नेताओं, जैसे के. अन्नामलाई, को आगे किया है. अन्नामलाई ने चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई साउथ, नीलगिरी, तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी, और कोयंबटूर जैसे क्षेत्रों में पार्टी की उपस्थिति को मजबूत किया है. शाह ने कार्यकर्ताओं को हर गांव, गली, और घर तक पहुंचने का निर्देश दिया है.