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मिसाइलों की ट्रिपल स्ट्राइक… पाक से युद्ध के बाद भारत में स्वदेशी हथियारों का उद्घोष

भारत का रक्षा क्षेत्र हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति का साक्षी बन रहा है. अगर इसे भारत के रक्षा साजो सामान के रूप में इतिहास का स्वर्णकाल कहें तो कोई दो राय नहीं हो सकती. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा कि हमारा स्वदेशी ब्रह्मोस कितना कारगर रहा. आने वाले दिनों में भारतीय रक्षा अनुसंधान और भी कमाल करने वाली है.

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16-17 जुलाई 2025 को भारत ने 24 घंटे के भीतर तीन स्वदेशी मिसाइलों आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2, और अग्नि-1 के सफल परीक्षण किए.
16-17 जुलाई 2025 को भारत ने 24 घंटे के भीतर तीन स्वदेशी मिसाइलों आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2, और अग्नि-1 के सफल परीक्षण किए.

भारत ने हाल के वर्षों में अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पर ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होने के बाद जिस तरह ताबड़तोड़ डिफेंस सेक्टर को खतरनाक हथियारों से लैस किया जा रहा है वह बेहद महत्वपूर्ण है. इसमें आश्चर्यजनक ये है कि भारत ये काम खुद अपनी क्षमता पर कर रहा है. जबकि अभी तक देश रक्षा सामग्री के लिए दुनिया के ताकतवर देशों पर निर्भर हुआ करता था. यही कारण रहा है कि भारत दुनिया में रक्षा सामग्री खरदीने वाले देशों की सूची में नंबर एक पर है. इसी तरह अपना देश डिफेंस सेक्टर पर खर्च करने में दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंच चुका है. जाहिर है कि यह सब उपलब्धिया किसी भी भारतीय के लिए सर गर्व से ऊंचा कर देती हैं. पर सही मायने में देश के लोगों के लिए प्राइड की बात यह है कि भारत अब उन्नत तकनीक वाले मिसाइल, बंदूकें , रक्षा प्रणालियां खुद डिवेलप कर रहा है. इसकी मिसाल पिछले तीन दिनों में देखने को मिली है.

दरअसल 16-17 जुलाई 2025 को भारत ने 24 घंटे के भीतर तीन स्वदेशी मिसाइलों—आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2, और अग्नि-1—के सफल परीक्षण किए. इसके साथ ही 24 घंटे के अंदर AK-203 असॉल्ट राइफल को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया ने निसंदेह हर भारतीय के मनोबल को बढ़ाने का काम किया है. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि भारत सरकार  स्टील्थ फाइटर जेट को भारत में बनाने के लिए फ्रांस को तैयार कर लिया है. कहा जा रहा है कि करीब 61,000 करोड़ रुपये की डिफेंस डील के बाद पांचवी पीढ़ी के अत्याधुनिक स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट भारत में बन सकेंगे.जाहिर है कि ये उपलब्धियां भारत को पाकिस्तान से ही नहीं चीन के मुकाबले के लिए भी सक्षम बनाने के लिए बेहद जरूरी थीं. जाहिर है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी महती जरूरतों के हिसाब से भारत खुद को तैयार कर रहा है. 

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1- ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी सिस्टम की बड़ी सफलता ने उत्साह बढ़ाया 

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने भारत की रक्षा तैयारियों और जवाबी कार्रवाई की क्षमता का प्रदर्शन देखा है. इस ऑपरेशन में भारत ने स्वदेशी मिसाइल सिस्टम, ड्रोन, और अन्य हथियारों का उपयोग करके पाकिस्तान से होने हवाई और जमीनी सभी तरह के टार्गेट को प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी किया. इसने भारत की रक्षा प्रणालियों की ताकत को तो साबित किया ही, साथ ही स्वदेशी तकनीकों की कमी को भी उजागर किया. खासकर ड्रोन और क्रूज मिसाइल जैसे आधुनिक खतरों से निपटने में भारत को अभी कितने साजो सामान की जरूरत है यह समझ में आया.

इस तरह ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी रक्षा नीति को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से कदम उठाए. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश मिसाइल सिस्टम, क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM), और वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) जैसे स्वदेशी सिस्टमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कई डिफेंस एक्सपर्ट ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें मानीं कि भारत की अपनी रक्षा प्रणालियों ने उम्मीद से कई गुना बेहतर काम किया. ऑपरेशन सिंदूर में कम खर्च में भारतीय रक्षा प्रणालियों ने जितनी बेहतरीन ढंग से काम किया उतना तो विदेशी रक्षा तकनीक भी नहीं कर सकी. जाहिर है कि इसका प्रभाव अब डिफेंस सेक्टर की तैयारियों में स्पष्ट दिख रहा है. 

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2-युद्ध में नजर आई खामियों को पूरा करेंगे ये कदम

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले कर अपनी सैन्य क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इस ऑपरेशन में आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका रॉकेट लॉन्चर, और राफेल जेट्स से लैस स्कैल्प और हैमर मिसाइलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

 हालांकि युद्ध के दौरान सेना को अपनी बहुत सी कमियां भी समझ में आईं. जैसे उन्नत ड्रोन रोधी प्रणालियों की कमी, साइबर सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता, और स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट्स की अनुपस्थिति. सवाल उठता है कि आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2, और अग्नि-1 मिसाइलों की ट्रिपल स्ट्राइक, AK-203 राइफल की तैनाती, और फ्रांस के साथ रक्षा सहयोग, विशेष रूप से स्टील्थ तकनीक, इन खामियों को दूर करने में कितनी प्रभावी होंगी? 

ऑपरेशन सिंदूर में राफेल जेट्स और उनकी स्कैल्प क्रूज मिसाइलों ने आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया. भारत के साथ फ्रांस का रक्षा सहयोग बढ़ रहा है. पिनाका रॉकेट लॉन्चर की संभावित खरीद और स्टील्थ तकनीक पर समझौता होने की खबर आ रही है. जाहिर है कि इससे भारत की वायु शक्ति बहुत मजबूत हो जाएगी. भारत का स्वदेशी AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट), एक पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट, 2035 तक तैयार होने की उम्मीद है. ऑपरेशन सिंदूर ने स्टील्थ तकनीक की कमी को उजागर किया है. क्योंकि पाकिस्तान चीन से 2030 तक छठवीं पीढ़ी के जेट्स प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है. फ्रांस के साथ तकनीकी सहायता पर समझौता होते ही  AMCA के विकास तेज हो जाएगा. अगर ऐसा हो जाता है तो भारत की वायुसेना को रडार से बचने और उन्नत हथियार प्रणालियों से हमले की क्षमता मिल जाएगी.

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3-डिफेंस सेक्टर में भारत का स्वर्णकाल ?

भारत का रक्षा क्षेत्र हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति का साक्षी बन रहा है. अगर इसे भारत के रक्षा साजो सामान के रूप में इतिहास का स्वर्णकाल कहें तो कोई दो राय नहीं हो सकती. भारत ने 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशी हिस्सेदारी को बढ़ाया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा कि हमारा स्वदेशी ब्रह्मोस कितना कारगर रहा. इसके साथ ही आकाश-प्राइम मिसाइल का स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (RF Seeker) और त्रिकाल मैक्स ड्रोन भारत की तकनीकी का दुनिया में लोहा मनवा रहे हैं.

 ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात और क्यूआर-एसएएम, वीएल-एसआरएसएएम जैसी प्रणालियों ने भारत को हवाई और जमीनी खतरों से निपटने में सक्षम बनाया है. ये उपलब्धियां भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में लाती हैं, जो उन्नत रक्षा तकनीक विकसित कर सकते हैं. पृथ्वी-2 और अग्नि-1 जैसी मिसाइलें परमाणु और पारंपरिक हथियारों के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का जवाब देने में सक्षम हैं. यह भारत की रक्षा नीति में एक नए युग का प्रतीक है, जहां आत्मनिर्भरता और त्वरित जवाबी कार्रवाई पर जोर है. 

सबसे बड़ी उपलब्धि यह है भारत का रक्षा निर्यात. अब जब हमारे रक्षा साजो सा्मान को दूसरे देश खरीदने को आतुर दिख रहे हैं तब यह  महसूस हो रहा है कि हम बेहतर रक्षा प्रणालियां तैयार कर रहे हैं. फिलीपींस जैसे देश हमसेृ ब्रह्मोस मिसाइल खरीद रहे हैं.

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