नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल बेंच में एक याचिका दायर कर मध्य प्रदेश सरकार से यह आश्वासन मांगा गया है कि यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान से आसपास के इलाकों में लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा.
याचिका में ग्रीन कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह राज्य के मुख्य सचिव को धार जिले के पीथमपुर में लोगों की सुरक्षा के बारे में शपथ लेकर घोषणा करने का निर्देश दे, जहां कार्बाइड कचरे का निपटान के लिए भेजा गया है.
'सरकार दे आश्वासन'
जबलपुर स्थित सामाजिक संगठन की ओर से दायर याचिका में धार के अधिकारियों को यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे शपथ लें कि कार्बाइड के कचरे के निस्तारण के कारण क्षेत्र के लोगों को नुकसान नहीं होगा.
क्या बोले याचिकाकर्ता
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के पीजी नाज पांडेय और कार्यकर्ता सुनील भार्गव ने कहा कि इसके अलावा याचिका में मध्य प्रदेश सरकार को जनता की चिंताओं को दूर करने के लिए इस कचरे के निपटान के संबंध में हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
नाज पांडेय ने पीटीआई को बताया कि सामाजिक संगठन ने शुक्रवार को एनजीटी में याचिका दायर की है. उन्होंने कहा, 'ऐसी आशंका इसलिए है, क्योंकि 2-4 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इसलिए हमने लोगों की चिंताओं का संज्ञान लेने के लिए एनजीटी का रुख किया है.'
मप्र हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को 337 टन यूनियन कार्बाइड कचरा भोपाल से निपटान के लिए पीथमपुर पहुंचा था. कचरे के पीथमपुर पहुंचने के बाद शुक्रवार को दिन भर इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान कई लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की. साथ ही पुलिस ने इस बावल के सिलसिले में पांच एफआईआर दर्ज कर ली हैं.