
Onion black fungus lining: अधिकतर घरों में प्याज का सेवन सलाद या सब्जी के रूप में किया जाता है. प्यार से सब्जी और सलाद का टेस्ट की गुना बढ़ जाता है. वहीं यदि आयुर्वेद की बात करें तो प्याज को काफी नुस्खों की दवा भी बताया गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं प्यार को खाते समय की जाने वाली एक मामूली सी गलती आपके लिवर तक को नुकसान पहुंचा सकती है. अक्सर जब आपके घर में प्याज आते हैं तो आपने देखा होगा उन पर काले रंग का पाउडर जमा रहता है या काले रंग की लाइनिंग बनी होती हैं. यह सिर्फ सामान्य पाउडर नहीं होता बल्कि एक फंगस होता है और यदि ये आपके शरीर में लगातार अंदर जाए तो आपको साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह काला पाउडर असल में एस्परगिलस नाइजर (Aspergillus niger) नाम का एक फंगस है. इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कितना खाते हैं और आपकी इम्यूनिटी कितनी तेज है.
कोलकाता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी और इंफेक्शन डिजीज के सीनियर कंसल्टेंट दीप नारायण मुखर्जी का कहना है, 'प्याज पर लगने वाली काली फफूंद मूलतः एस्परगिलस नाइजर नामक एक माइसेलियल कवक है. यह मिट्टी में मौजूद होती है और बीजाणुओं के निर्माण के कारण काली दिखाई देती है. यह कवक खासकर कटाई के बाद प्याज जैसी सब्जियों को गर्म या नमी वाली परिस्थितियों में स्टोर करने के दौरान दूषित कर देता है.'
'यह मूलतः प्याज के छिलके पर आता है और धीरे-धीरे पूरे प्याज को चपेट में ले लेता है. अधिकांश लोगों को तो यह नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन कुछ लोगों को इससे परेशानी हो सकती है.
डॉ. मुखर्जी का कहना है, 'जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है या कीमोथेरेपी ले रहे कैंसर रोगी, सीओपीडी, अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी श्वसन समस्याओं से पीड़ित लोगों को इस तरह की प्याज नहीं खानी चाहिए. इसका कारण है कि ये बीजाणु सांस के जरिए भी शरीर में जा सकते हैं और एलर्जी या एस्परगिलोसिस जैसी फंगल बीमारियों का कारण बन सकते हैं.'
हालांकि यदि आपके घर में भी ऐसी प्याज है तो आप उसकी ऊपरी परत को अच्छे से धो कर और सबसे ऊपर लेयर को निकालकर बचे हुए प्याज का सेवन कर सकते हैं.
डॉ. मुखर्जी का कहना है, यदि कोई ऐसी काली लाइनिंग वाली प्याज को लंबे समय से खा रहा है तो मतली, उल्टी, सिरदर्द, पेट दर्द या दस्त जैसे लक्षण हो सकते हैं. गंभीर मामलों में यह संवेदनशील व्यक्तियों में जानलेवा संक्रमण पैदा कर सकता है.
जर्नल ऑफ डायबिटीज एंड मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स में पब्लिश रिसर्च में बताया गया था कि प्याज नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज जैसी लिवर की बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, लेकिन ये फायदे तभी मिलते हैं जब प्याज साफ और दूषित न हो . बार-बार काले या फफूंद लगे प्याज खाने से आपका लिवर विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आ सकता है, जिससे दीर्घकालिक नुकसान का खतरा बढ़ जाता है
काली लाइनिंग वाली प्याज खाने से शरीर में माइकोटॉक्सिन पहुंच जाते हैं. ये विषैले कंपाउंड कुछ खास फफूंदों द्वारा उत्पन्न होते हैं जो गलत तरीके से स्टोर की गई या खराब हुई प्याज में पनपते हैं. इन विषाक्त पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लिवर पर दबाव बढ़ जाता है. हालांकि एक बार संपर्क में आने से गंभीर क्षति होने की संभावना नहीं है लेकिन बार-बार सेवन से समय के साथ लिवर की बीमारी, डाइजेशन संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
टेक्नो इंडिया दामा हॉस्पिटल के डाइट्री साइंस डिपार्टमेंट के हेड एवं क्रिटिकल केयर न्यूट्रिशनिस्ट पायल कुमार रॉय का कहना है, 'प्याज पर काली फफूंद बाहरी त्वचा पर सूखी, कालिख जैसी परत के रूप में दिखाई देती है. एलर्जी या श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए. अगर फफूंद प्याज के अंदरूनी हिस्से तक फैल गई है तो उसे फेंक देना चाहिए.'
चेन्नई के डॉक्टर संतोष जैकब कहते हैं, 'प्याज पर ऐसी लाइनिंग कभी-कभी मिट्टी तो कभी फंगस हो सकती है. खाना पकाने से कवक मर जाते हैं लेकिन विषाक्त पदार्थ नहीं. यदि कवक पहले से ही अंदर फैल गया है तो हो सकता है कि उसने विषाक्त पदार्थों को अंदर छोड़ दिया हो और ऐसे में आप कितना भी प्याज को पका लीजिए, वो नष्ट नहीं होंगे. बुजुर्ग, बीमार या कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग प्याज खाने से बीमार पड़ सकते हैं. जब आप प्याज पर काली रेखाएं देखते हैं तो इसे न खरीदना सुरक्षित है.'