कभी किसी फिल्म का एक डायलॉग अचानक ज़ुबान पर चढ़ जाए और उसके साथ ही कोई भूली-बिसरी चीज फिर से ट्रेंड करने लगे तो समझिए मामला दिलचस्प है. रणवीर सिंह स्टारर फिल्म ‘धुरंधर’ में गूंजती लाइन 'डार्लिंग डार्लिंग दिल क्यों तोड़ा… पीलो पीलो आलम सोडा' ने ऐसा ही कमाल किया है. इस एक सीन ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया और साथ ही लोगों की यादों में ताजा कर दी एक पुरानी, झागदार और मीठी ड्रिंक दूध सोडा.
फिल्म धुरंधर के एक सीन में कहानी पहुंचती है कराची के ल्यारी इलाके में, जहां एक मामूली-सा दूध सोडा स्टॉल असल में भारतीय जासूस का अड्डा होता है. कॉमेडियन-एक्टर गौरव गेरा यहां मोहम्मद आलम नाम के दूध सोडा बेचने वाले के रोल में नजर आते हैं. हालांकि वो असल में भारतीय जासूस हैं. उनका अंदाज़, लहजा और वही मजेदार लाइन बस यहीं से दूध सोडा इंटरनेट का नया स्टार बन गया.
जो लोग दूध सोडा के बारे में नहीं जानते हैं, उनको सबसे पहले बता दें कि दूध सोडा कोई नई-नवेली फ्यूजन ड्रिंक नहीं, बल्कि एक क्लासिक स्ट्रीट बेवरेज है, जिसे भारत और पाकिस्तान में दशकों से बड़े चाव से पिया जाता रहा है. खासतौर पर पंजाब के इलाकों में यह गर्मियों की फेवरेट ड्रिंक रह चुकी हैं, पुरानी दिल्ली, अमृतसर में भी दूध-सोडा मिला करता था. हालांकि बदलते वक्त के साथ दूध सोडा ड्रिंक भी कहीं पीछे छूट गई थी, जो इस फिल्म के जरिए एक बार फिर लोगों के बीच सुर्खियां बटोर रही है.
इसे बनाने के लिए ठंडा दूध और नींबू के स्वाद वाले सोडा की जरूरत पड़ेगी.दूध में आप 7 अप, स्प्राइट या लिम्का कोल्ड ड्रिंक इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले तो एक गिलास में बर्फ डालें और उसमें दूध और चीनी डालकर मिलाएं. उसके बाद इसमें धीरे-धीरे सोडा मिलाते जाएं और मात्रा का ध्यान रखें, क्योंकि अधिक मात्रा से दूध फट भी सकता है. कुछ लोग इसका टेस्ट बढ़ाने के लिए इसमें रूह अफ्जा भी मिलाते थे.
लाहौर के फूड ब्लॉगर 'साहिलॉजी' के मुताबिक, पाकिस्तान में दूध को ठंडा करने का एक अनोखा देसी तरीका अपनाया जाता है. कई जगह इसमें लाल रंग की कोला भी मिलाई जाती है, जो इसे अलग पहचान देती है. ऊपर से जब सोडा मिलाया जाता है, तो दूध में उठती झाग ही इसकी जान होती है.
भारत और पाकिस्तान में कभी मशहूर होने वाली दूध-सोडा का इतिहास सालों पुराना है, बहुतों को यह जानकर हैरानी होगी कि दूध सोडा की जड़ें विदेश से जुड़ी हैं. इस दूध-सोडा की शुरुआत विक्टोरियन इंग्लैंड में हुई थी, ब्रिटिश राज के दौरान यह ड्रिंक भारत लाई गई,उस दौर में सोडा फाउंटेन चलाने वाले हकीम और वैद्य इसमें दूध, गुलाब, खस और नींबू जैसे फ्लेवर मिलाते थे.
1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में यह इफ्तार की यह पॉपुलर ड्रिंक बन गई, अक्सर रूह अफ्जा के साथ लोग इसे पीना पसंद करने लगे थे. भारत में यह पंजाब, अमृतसर, पुरानी दिल्ली जैसे इलाकों में अपनी जगह बनाए रहा. आज भी लाहौर और कराची की गलियों में दूध सोडा उसी शान से बिकता है,बिल्कुल वैसा ही, जैसा दशकों पहले पिया जाता था.
दूध सोडा पीने में मीठा होता है और इसे पीने के बाद हल्का भी महसूस होता है. दूध और सोडा का अनोखा कॉम्बिनेशन गर्मी में ठंडक, रोजे में राहत देता है, शायद यही वजह है कि एक फिल्मी सीन ने आते ही लोगों को फिर से इस ड्रिंक की ओर खींच लिया.
धुरंधर ने सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं दिया, बल्कि एक 150 साल पुरानी ड्रिंक को नई पीढ़ी से मिलवा दिया. दूध सोडा अब सिर्फ गली-मोहल्लों तक सीमित नहीं, बल्कि सोशल मीडिया ट्रेंड बन चुका है.