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जातिगत गणना: सर्वे के आधार पर आगे बढ़ सकती है बिहार सरकार, SC से फिलहाल राहत

SC ने कहा है कि वह इस पर फैसला करेगा कि जनगणना की अनुमति देने वाले पटना हाई कोर्ट के फैसले की शुद्धता और डेटा का ब्रेक डाउन किस हद तक पब्लिक डोमेन में डाला जा सकता है. सुनवाई 29 जनवरी के बाद होगी.

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Caste census (File Photo)
Caste census (File Photo)

जातिगत सर्वे के मामले में बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने बिहार सरकार के सार्वजनिक डोमेन में डाले गए आंकड़ों के विभाजन की सीमा पर सवाल उठाया है. SC ने कहा है कि वह इस पर फैसला करेगा कि जनगणना की अनुमति देने वाले पटना हाई कोर्ट के फैसले की शुद्धता और डेटा का ब्रेक डाउन किस हद तक पब्लिक डोमेन में डाला जा सकता है. सुनवाई 29 जनवरी के बाद होगी.

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि सर्वे का डेटा प्रकाशित हो चुका है. उस आधार पर आरक्षण 50 से बढ़ाकर करीब 70 फीसदी तक कर दिया गया है. इसको लेकर पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता के वकील ने अंतरिम राहत के लिए जल्द सुनवाई की मांग करते हुए मामले पर सुनवाई की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इससे इंकार करते हुए कहा कि हम 29 जनवरी से शुरू होने वाले हफ्ते में मामले को सुनवाई पर लगाएंगे.

जनगणना का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि सर्वे के डेटा का वर्गीकरण करके ये डेटा आम जनता को उपलब्ध कराया जाना चाहिए. सर्वे के बजाए हमारी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा है. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे किया है, इसे जनगणना नहीं कहा जा सकता है. बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार कोर्ट में दाखिल जवाब में कह चुकी है कि जनगणना जैसी प्रकिया को अंजाम देने का अधिकार सिर्फ केन्द्र को ही है.

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