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रामपुरः खेतों में बाढ़ का पानी, नैनीताल हाईवे पर धान सुखा रहे किसान

हर ओर बारिश के कारण बहुत ज्यादा नमी हो गई है. किसान अपना धान हाईवे पर सुखा रहे हैं. नैनीताल हाईवे पर यह इसलिए सुखाना पड़ रहा है क्योंकि बारिश के कारण सारा धान भीग गया है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सैकड़ों गांवों में घुसा नदियों में डैम से छोड़ा गया पानी
  • जलमग्न होने के चलते बर्बाद हो गई किसानों की फसल
  • किसानों का दावा- अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते नदियों में डैम से छोड़े गए पानी ने जिस तरह कहर ढाया है, उससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और अब तक खेतों में पानी भरा है. वहीं कुछ किसान अपनी धान की फसलें काटने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थानों पर सुखाने के लिए मजबूर हैं.

कुछ इसी तरह जनपद रामपुर के किसान अपनी बची खुची धान की फसलें नैनीताल हाईवे पर सुखाने को मजबूर हैं.

रामपुर उत्तराखंड के तराई में बसा हुआ जिला है. यहां पर मुख्य रूप से धान और गेहूं की फसलें उगाई जाती हैं. जनपद में कोसी, रामगंगा, पीलाखार और भाखड़ा नदी जहां कुदरत के एक वरदान की तरह इन फसलों को सींचे जाने में अपनी अहम भूमिका अदा करती है. वहीं तेज बारिश में यह जब उफनती हैं तो अभिशाप बन कर किसानों को तबाह बर्बाद कर डालती हैं. तीन दिन पहले हुआ भी यही जब उत्तराखंड स्थित डैम से पानी छोड़े जाने के बाद इन नदियों ने उफन कर अपना कहर ढाया तो किसान अपनी फसलों के जलमग्न होने के चलते बर्बाद हो गए.

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रामपुर के नैनीताल नेशनल हाईवे पर कई किलोमीटर तक किसान अपनी बची खुची धान की फसल को सुखा रहे हैं ताकि इसे बेचकर उन्हें कुछ दाम मिल सके और वह फिर से बाढ़ से हुई तबाही को भूलकर एक नई सुबह की तलाश मे जुट जाएं और पहले की तरह ही अपनी आने वाली फसलों की बुवाई कर सकें.

तबाह हो चुके किसान प्रशासन से चाहते हैं कि जो इन फसलों की खरीदारी में मंडी समिति द्वारा अपनाए जा रहे नियमों कुछ छूट मिल सके, उन्हें फसलों की खरीदारी के समय नमी आदि के नियमो में कुछ छूट मिल सके. वहीं किसानों की इस समस्या के मद्देनजर प्रशासन की ओर से इस समस्या का हल निकाले जाने को लेकर मंथन भी शुरू हो चुका है.

किसान लवप्रीत सिंह के मुताबिक हाईवे पर अपना धान सुखा रहे हैं गीला हो गया था. बारिश के कारण बहुत ज्यादा नमी हो गई है. हम अपना धान हाईवे पर सुखा रहे हैं नैनीताल हाईवे पर यह धान इसलिए सुखाना पड़ रहा है. बारिश के कारण हमारा धान सारा भीग गया और हमें हाईवे पर आकर धान सुखाना पड़ रहा है. खेतों में कैसे सुखाते खेतों में अभी पानी बहुत आ रहा है. खेत तो बहुत गीले हैं. उन्होंने कहा कि सरकार से हम यही मदद चाहते हैं, हमें इसका मुआवजा मिले जो हमारा धान खराब हुआ है. हमें अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला हैं. यह कल से धान डाला हुआ है. रात भी यहीं रुके हम. सुबह से भी यहीं पर हैं.

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'फसल सुखाने को सुखी जमीन नहीं'

किसान हरमन ज्योत सिंह के मुताबिक सबसे पहले तो यह कहना चाहूंगा कि आपको इस एरिया में जो धान कटने वाला रह गया था उसमे 80 परसेंट धान डैमेज हो चुका है जिसको एफसीआई को छोड़कर जो प्राइवेट खरीददार हैं उसे रिजेक्ट कर देंगे. किसान के पास शायद अल्टरनेटिव नहीं रह पाएगा. उसके बावजूद अगर वह दिन-रात कुछ सुखा रहे हैं. उसको अगर सूखी जगह नहीं मिल रही है तो वे हाईवे पर सड़कों के किनारे आ रहे हैं और वहां सुखा रहे हैं. 

एडीएम रामपुर वैभव शर्मा के मुताबिक जैसा कि आप लोग जानते हैं. अभी कुछ दिनों में काफी अतिवृष्टि रही और साथ ही साथ रामनगर बैराज से जो पानी छोड़ा गया उसके कारण कोसी नदी रामगंगा के किनारे जो लगभग 180 गांव हैं बाढ़ के स्तर से प्रभावित हुए हैं. जिले के 1193 गांवों के खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है. जहां तक क्षति का आकलन है करीब 100 से अधिक टीमें जिलाधिकारी के आदेश पर लगाई गई हैं और प्रथम दृष्टिया से लगता है किसानों का काफी धान की क्षति हुई है. पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक सरकार की निगाह है. सरकार किसान हित में कोई निर्णय लेगी और मुझे उम्मीद है कि इसमें कोई निर्णय आएगा किसानों के हित में ही आएगा.

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