पिछले 70 सालों से श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थापित जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना करते लोग चले आ रहे हैं, उन मूर्तियों को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा. राम की कितनी बड़ी और किस पत्थर से निर्मित मूर्ति स्थापित की जानी है? इसके बारे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देशभर के संतो से राय लेगा.
अभी तक जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना हो रही है, उन्हें प्राण प्रतिष्ठित करने के बजाए उत्सव मूर्तियों का दर्जा मिलेगा, जिन्हें उसी मंदिर में स्थापित तो किया जाएगा लेकिन उन मूर्तियों को जीवंत नहीं माना जाएगा. इसके साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ-साथ महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषादराज जटायू, गणेश जी और माता सीता के मंदिर भी अगल-बगल ही बनाए जाएंगे.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में बड़े फैसले लिए गए हैं. सबसे बड़ा फैसला यह कि पिछले 70 वर्षों से राम की जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना लोग करते आ रहे हैं, उन मूर्तियों को भव्य और दिव्य रूप को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा.
राम की इन मूर्तियों के बारे में साधु संत और मंदिर-मस्जिद विवाद के दौरान कोर्ट में अधिवक्ता यही बताते हैं कि यह मूर्ति प्रकट हुई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि जिन मूर्तियों की अब तक लोग पूजा करते आए हैं उन्हें प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा, यह उत्सव मूर्तियां होंगी, जिन्हें कहीं भी लाया और ले जाया जा सकेगा.
चैत्र नवरात्र तथा नूतन सम्वत्सर के शुभारंभ पर, आज अयोध्या में निर्माणाधीन श्री रामजन्मभूमि मन्दिर गर्भगृह पर प्रातः पूजन किया गया तथा नवीन ध्वजा फहराई गई।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) April 2, 2022
On the first day of Chaitra Navratri & Nav Savatsar, pujan was performed at Garbhagrih & a new Dhwaja was hoisted pic.twitter.com/RpGVMG6aUg
चंपत राय ने बताया कि निर्माणाधीन मंदिर में राम की कितनी बड़ी और किस पत्थर से निर्मित मूर्ति लगेगी? इसके बारे में संतों से राय ली जाएगी. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो भी मूर्ति लगेगी वह श्री राम के बाल रूप की होगी.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, 'मंदिरों का संचालन करने वाले सभी लोग जानते हैं कि एक मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति होती है, वह अचल मूर्ति होती है, स्थिर रहती है, उसे हटाया नहीं जा सकता, वह आकृति में बड़ी भी रहती है, दूसरी प्रतिमाएं चल प्रतिमा होती है, उन्हें उत्सव मूर्ति भी कह सकते हैं.'
चंपत राय ने कहा, 'किसी पूजा उपासना में उनको ग्रुप से बाहर निकाल कर ले आया जाता है, इसलिए 70 साल से जिन प्रतिमाओं का जिन विग्रह का समाज पूजन कर रहा है वह उत्सव मूर्तियों का रूप ग्रहण करती है. आप बड़े मंदिर में किसी देखने जाइए प्रतिष्ठित मूर्तियां और उत्सव मूर्तियां एक साथ रहती है, एक ही सिंहासन पर.'
आज दिनांक 1 जनवरी 2022 को लगभग 1,12,000 श्रद्धालुओं ने श्री रामजन्मभूमि स्थित अस्थायी मन्दिर में विराजमान भगवान श्री रामलला सरकार के दर्शन किए।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 1, 2022
Around 1,12,000 devotees had darshans of Bhagwan Shri Ramlalla Sarkar at Shri Ram Janmabhoomi Mandir, on today January 1, 2022. pic.twitter.com/30zI1eyhYV
श्रीराम मंदिर के अलावा वहां पर समरसता के समाज पर आधारित महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषाद राज, सीता का संदेश देने वाले और रावण को रोकने के प्रयास में जान देने वाले जटायु और माता-सीता के साथ गणेशजी का भी मंदिर होगा. श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग में इस पर विचार ही नहीं हुआ है बल्कि सहमति भी हो गई है.