मोदी सरकार से अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले उनकी पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली, इसके बाद राज्यसभा में उनकी पार्टी के 6 में 4 सांसद बीजेपी में शामिल हो गए हैं. टीडीपी सांसदों के बीजेपी में जाने के बाद शुक्रवार को टीडीपी सांसदों का एक दल उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मिला है. इस मुलाकात में टीडीपी सांसदों ने अपने साथियों के दल-बदल को चुनौती दी है.
लोकसभा में पार्टी के सांसद जयदेव गल्ला समेत निम्न सदन के 3 और राज्यसभा के 2 सांसदों ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात की है. बीते दिन टीडीपी के 6 में 4 राज्यसभा सांसदों ने कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया था और राज्यसभा में टीडीपी का विलय बीजेपी में किया था क्योंकि पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा सदस्यों ने दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली है. ऐसे में अब वह राज्यसभा में बीजेपी के सांसद हैं.
Jaydev Galla: Having gone through the law what we now understand is, merger of a political party has to take place at only organisational level. It cannot take place at legislature party level. Since TDP & BJP have not merged at the organisational level this is not a legal merger https://t.co/G8pn8BJumc
— ANI (@ANI) June 21, 2019
इन 4 ने छोड़ी टीडीपी
राज्यसभा सांसद सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी ने बीते दिन बीजेपी का हाथ थामा है. वाई एस चौधरी ने बीजेपी ज्वाइन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तारीफ करते हुए कहा कि देश का भविष्य उन्हीं के हाथों में है और वही देश का विकास कर सकते हैं. चौधरी टीडीपी में रहने के दौरान पिछली एनडीए सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा न दिए जाने के विरोध में टीडीपी पिछली सरकार से अलग हो गई थी.
अपनी पार्टी के चार सांसदों के दल-बदल पर टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'हमने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और राज्य के हित के लिए बीजेपी से लड़ाई लड़ी. हमने सूबे को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री पद तक को छोड़ दिया. हम टीडीपी को कमजोर करने की बीजेपी की कोशिश की निंदा करते हैं. टीडीपी में संकट कोई नया नहीं है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है.'
हाल के लोकसभा चुनाव में टीडीपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था. पार्टी आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में महज 3 ही सीटें जीत पाई, जबकि वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटों पर कब्जा किया है. वहीं विधानसभा चुनावों में टीडीपी ने प्रदेश की 175 सीटों में से महज 23 सीटें ही जीतीं. सबसे ज्यादा सीटें 151 वाईएसआर कांग्रेस के खाते में आईं हैं.