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भारत-नेपाल सीमा विवाद पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी- रीसेट करनी होगी विदेश नीति

भारत-नेपाल के बीच तनाव पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भारतीय विदेश नीति को नए सिरे से मजबूत किए जाने पर जोर दिया है. कहा है कि भारत को विदेश नीति को फिर से स्थापित किए जाने की जरूरत है.

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी (फोटो-PTI)
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी (फोटो-PTI)

  • नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर है खटास
  • विदेश नीति को फिर स्थापित किए जाने की जरूरत-स्वामी

नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भारतीय विदेश नीति को नए सिरे से मजबूत किए जाने पर जोर दिया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि भारत को विदेश नीति को फिर से स्थापित करने की जरूरत है.

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, 'भारतीय क्षेत्र के लिए नेपाल कैसे सोच सकता है? उनकी भावनाओं को इस कदर चोट पहुंचाई गई है कि वो भारत के साथ रिश्तों को तोड़ना चाहते हैं? क्या यह हमारी विफलता नहीं है? विदेश नीति को फिर से स्थापित किए जाने की आवश्यकता है.

सुब्रमण्यम स्वामी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब नेपाल की प्रतिनिधिसभा ने देश के अपडेटेड राजनीतिक प्रशासनिक नक्शे से संबंधित एक विधेयक को शनिवार को पारित कर दिया, जिसमें भारतीय भूमि के हिस्से शामिल हैं. हालांकि इस पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

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भारत ने इसे नेपाल के उल्लंघन और दावों का एक कृत्रिम विस्तार करार दिया है. नेपाल की ओर से संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाकों पर अपना दावा किया गया है. भारतीय नक्शे में ये सभी हिस्से उत्तराखंड में पड़ते हैं.

नेपाल के कानून मंत्री शिवमया तुंबाहम्फे ने यह विधेयक पेश किया था, जिसके जरिए राष्ट्रीय प्रतीक में भी नक्शे को अपडेट किया गया है.

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बहरहाल, नेपाल की प्रतिनिधिसभा की ओर से संविधान संशोधन के मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, हमने गौर किया है कि नेपाल की प्रतिनिधिसभा ने भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के लिए नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है. हमने इस मामले पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है.

प्रवक्ता ने कहा, दावों का यह कृत्रिम इजाफा ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है और न ही इसका कोई मतलब है. यह लंबित सीमा मुद्दों पर बातचीत करने के लिए हमारी मौजूदा समझ का भी उल्लंघन है.

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