भारत की आर्थिक राजधानी के दिल में स्थित ट्रेन स्टेशन से दिल दहला देने वाला जो मंजर सामने आया था उससे रेलवे अधिकारियों को अंदर तक हिल जाना चाहिए था. लेकिन इंडिया टुडे नेटवर्क की जांच से सामने आया है कि मुंबई की लाइफलाइन में इंसानों की सुरक्षा उतनी ही सस्ती है जितना कि आवाज करने वाला खिलौना- फिजेट स्पिनर (चक्करघिन्नी).
बीते हफ्ते मुंबई में एलफिंस्टन रोड और परेल रेलवे स्टेशनों को जोड़ने वाले फुट ओवर ब्रिज पर हुए भगदड़ के हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई और 35 से ज़्यादा घायल हुए. 29 सितंबर को इस हादसे की तस्वीरों को जिसने भी टीवी पर देखा वो सकते में आ गया. आला मंत्रियों से लेकर नौकरशाहों तक ने इस हादसे के बाद सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा के लंबे चौड़े वादे किए.
वहीं जब इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने हादसे के मद्देनजर जमीनी हकीकत जाननी चाही तो यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भारी संवेदनहीनता दिखाई दी. फुट ओवर ब्रिज पर 29 सितंबर की सुबह हुए हादसे के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाने को जिम्मेदार ठहराया गया था. लेकिन इंडिया टुडे की खास तहकीकात से सामने आया कि महानगर के व्यस्ततम ट्रेन स्टेशनों पर जान की कीमत 50 रुपये जितनी मामूली है.
जांच से पता चला कि फुट ब्रिजों पर पैदल चलने वालों की जगह पर कोई भी अतिक्रमण करने वाला एक ‘फिजेट स्पिनर’ जैसे खिलौने की कीमत चुका कर कब्जा कर सकता है.
मुंबई के चारनी रोड स्टेशन पर जीआरपी के एक सिपाही ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर को एक खिलौने (फिजेट स्पिनर) की कीमत लेकर ओवरब्रिज पर खिलौने बेचने की इजाजत दे दी. अंडर कवर रिपोर्टर ने खुद को फिजेट स्पिनर्स बेचने वाला स्ट्रीट हॉकर बताते हुए कम से कम एक घंटा खिलौने बेचने देने के लिए सिपाही से आग्रह किया.
सिपाही ने पूछा- एक फिजेट कितने का है?
रिपोर्टर- 40 से 50 रुपये के बीच.
सिपाही- ठीक है मुझे 50 रुपये दो, 50 रुपये.
सिपाही ये कहने के बाद रिपोर्टर को ब्रिज पर एक जगह तक भी ले गया जहां से खिलौनों को बेचा जा सकता था. मुंबई के वेस्टर्न उपनगर सांता क्रूज में आरपीएफ सिपाही ने अंडर कवर रिपोर्टर को एक हफ्ते बाद ही फिर वहां आने की सलाह भी दी. सिपाही ने कहा- 'वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली से यहां निरीक्षण के लिए आए हुए हैं. मैं तुम्हें यहां अपना चाय-पानी का कट लेकर बेचने की इजाजत दे देता. लेकिन फिलहाल मुआयना जारी रहने की वजह से हालात ठीक नहीं हैं.'
रिपोर्टर- फिर कब से शुरू किया जाए?
आरपीएफ सिपाही ने कहा- कम से कम आठ दिन...आज से आठ दिन गिन लो.
मुंबई के घाटकोपर और गोरेगांव स्टेशनों पर इंडिया टुडे के रिपोर्टर भीड़ वाले समय में जब फुटब्रिजों पर खिलौने बेचने के लिए बैठा तो किसी रेलवे सुरक्षाकर्मी से उसका सामना नहीं हुआ. एलफिंस्टन पर हादसे के एक हफ्ते के बाद ही संकरे ओवरब्रिजों पर राहगीरों के चलने की जगह पर अतिक्रमण करने वालों को रोकने के लिए एक भी सिपाही गश्त करता नहीं दिखाई दिया.