इसरो ने 2011-12 में GEO-aided GEO Augmented Navigation (GAGAN) प्रणाली की शुरुआत की थी. 2013 से यह पूरी तरह से लागू हुआ. शुरुआत में यह सिर्फ भारतीय आकाश में विमानों के आवागमन में मदद कर रहा था. यानी उनकी गति, ऊंचाई, दिशा निर्धारण आदि. लेकिन अब यह रेलवे की मदद भी कर रहा है. देश में किस समय कितनी ट्रेनें चल रही हैं. कब कौन सी ट्रेन किस पटरी पर जाएगी. कितनी गति में चलेगी. कहां पहुंची, कहां रुकी आदि सारी जानकारी अब रेलवे के अधिकारियों को मिल रही है. इसरो के गगन की वजह से ट्रेनों के परिचालन में आसानी हुई है.
ISRO की स्पेस टेक्नोलॉजी से मिलेगी भारतीय रेलवे को मदद
देश में करीब 12 हजार लोकोमोटिव इंजन हैं. इनमें से करीब 6000 में गगन के सिस्टम लग चुके हैं. यानी रेलवे के आधे इंजनों की निगरानी इसरो के गगन प्रणाली के जरिए अंतरिक्ष से की जा रही है. इसमें 120 करोड़ रुपए का खर्च आया है. गगन प्रणाली को इसरो के जीसैट सीरीज के सैटेलाइट चला रहे हैं. ये वही सैटेलाइट हैं जो देश की सेनाओं की भी मदद करते हैं. देश के कई मिसाइल सिस्टम भी इस प्रणाली का उपयोग करते हैं. इस प्रणाली के उपयोग से अभी रेलवे विभाग को रोजाना 3 करोड़ से ज्यादा अपडेट मिल रहे हैं. जबकि, जनवरी 2019 में इसे 5 लाख अपडेट मिलते थे. अक्टूबर 2020 तक देश के सभी ट्रेन इंजन गगन प्रणाली से जुड़ जाएंगे.
अब ISRO का 'गगन' बताएगा कि आपकी ट्रेन कहां है?
ट्रेन इंजन में गगन प्रणाली लगाने से मिलने वाली मदद