हाल ही में दिल्ली के एक सागर रत्ना रेस्तरां में हुए मनोज वशिष्ठ के एनकाउंटर को लेकर रोज नई बातें सामने आ रही हैं. मनोज की पूरी बॉडी के एक्स रे में कहीं चोट का निशान नहीं मिला है. सीधी आंख के ऊपर सिर से गोली आर-पार हुई थी और सिर में कई फैक्चर मिले हैं.
उधर, मनोज के परिजन पुलिस के बयान के उलट इसे साफ तौर पर एक फर्जी एनकाउंटर बता रहे हैं. अपने एनकाउंटर से कुछ दिन पहले ही मनोज ने अग्रिम जमानत के लिए 2 एप्लिकेशन फाइल की थीं. इसके अलावा सिटी कोर्ट में भी वो एक एप्लीकेशन फाइल करने वाला था.
29 अप्रैल को जब अपने बिजनेस पार्टनर पंकज अल्लाखा के साथ कार में जा रहा था तो धौला कुआं के पास मोटरसाइकिल पर आए 2 पुलिसवालों ने उन्हें रोका. वहां एक पुलिस जिप्सी भी आई जिसमें सादे कपड़ों में 5 पुलिसकर्मी थे. मनोज के परिवारवालों ने बताया कि उन पुलिसकर्मियों ने मनोज को एक जांच के तहत लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल ऑफिस आने को कहा.
डरा हुआ मनोज स्पेशल सेल के उन पुलिसवालों के बारे में जानना चाहता था. अपनी गिरफ्तारी से डरकर उसने स्पेशल सेल के कोर्ट में एप्लीकेशन फाइल करने का फैसला किया था. फिर मनोज और उनके परिवारवालों ने 7 मई को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 438 के तहत एक एप्लीकेशन फाइल की, जिसकी पहली सुनवाई लोकल कोर्ट में 8 मई को हुई. अगली तारीख 19 मई की दी गई थी. 19 मई को पुलिस के स्पेशल स्टाफ ने कोर्ट को बताया कि मनोज के खिलाफ कोई केस नहीं था और न ही कोई कंप्लेंट थी.
ऐसे में सबका कहना यही है कि मनोज जानना चाहता था कि जब उसके खिलाफ कोई केस नहीं है तो वो स्पेशल सेल के पुलिसकर्मी कौन थे जो उसका पीछा कर रहे थे और गिरफ्तारी की धमकियां दे रहे थे.