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मनोज की जान पुलिस की गोली से गई या खुद की?

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम शनिवार को सागर रत्ना रेस्तरां किसके कहने पर गई थी? किसने सपेशल सेल को हुक्म दिया था कि टीम रेस्तरां में जाए? और किसके कहने पर स्पेशल सेल मनोज को गिरफ्तार करने जा रही थी? जबकि स्पेशल सेल के पास ना तो मनोज का केस था और ना ही किसी और इलाके की पुलिस ने स्पेशल सेल से मदद मांगी थी.

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एनकाउंटर का सीसीटीवी फुटेज
एनकाउंटर का सीसीटीवी फुटेज

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम शनिवार को सागर रत्ना रेस्तरां किसके कहने पर गई थी? किसने सपेशल सेल को हुक्म दिया था कि टीम रेस्तरां में जाए? और किसके कहने पर स्पेशल सेल मनोज को गिरफ्तार करने जा रही थी? जबकि स्पेशल सेल के पास ना तो मनोज का केस था और ना ही किसी और इलाके की पुलिस ने स्पेशल सेल से मदद मांगी थी.

इस एनकाउंटर के बाद दिल्ली पुलिस पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर मनोज की जान किसकी गोली से गई? पुलिस की या फिर खुद मनोज की? ये सवाल इसलिए क्योंकि एक गोली मनोज के सिर को छेदती हुई बाहर निकल गई. यानी उसके सिर में गोली धंसी नहीं, जबकि दूसरी गोली मिस फायर थी. किसी को लगी नहीं. तो अब ये कैसे पता लगाया जाए कि किस पिस्टल से चली गोली मनोज को लगी और किस पिस्टल की गोली खाली गई? ये सवाल इस केस के लिए जितना अहम है उतनी ही गोली की जांच रिपोर्ट भी.

शनिवार की रात दिल्ली के सागर रत्ना रेस्तरां में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के जवानों को मनोज वशिष्ठ से उलझते तो सबने देखा, लेकिन इस गुत्थम-गुत्थी में ठीक किसकी गोली से मनोज की जान गई, ये बात अब तक साफ नहीं हो सकी कि कम से कम 30 सेकेंड का जो धुंधला सा सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने मीडिया को जारी किया, उस फुटेज से तो ये बात कतई साफ नहीं हुई. उल्टा, उस फुटेज में खुद वही इंस्पेक्टर धर्मेंद्र फर्श पर गिरे मनोज पर गोलियां चलाता हुआ नजर आ रहा है, जिसने एफआईआर में अपने मातहत भूप सिंह के गोली चलाने की बात कही है. जबकि एक तीसरी थ्योरी ये आ रही है कि झगड़े के दौरान गलती से खुद मनोज की पिस्टल से चली गोली ही उसे लग गई.

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दिल्ली के सागर रत्ना रेस्त्रां में जब एनकाउंटर हुआ, तब वहां तकरीबन 40 लोग मौजूद थे, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन 40 लोगों में सामने आए 18 चश्मदीदों में से किसी ने मनोज को मरते हुए नहीं देखा. इन लोगों ने गोली की आवाज तो सुनी, लेकिन कोई ये नहीं देख पाया कि पहली गोली किसने चलाई और किसकी गोली से मनोज की जान गई? लिहाजा इसी पहेली को सुलझाने मामले की जांच कर रही एसआईटी बुधवार को सागर रत्ना रेस्तरां पहुंची.

अपने कई मामले की जांच पुलिस से लेकर सीबीआई या फिर ऐसी ही किसी दूसरी एजेंसी के हवाले किए जाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन क्या कभी ऐसा भी सुना है कि वारदात एक हो और जांच चार-चार? मनोज के रहस्यमयी एनकाउंटर का मामला कुछ ऐसा ही है.

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