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दिल्ली और J-K में सुनाई जाती है सबसे ज्यादा सजा-ए-मौत

देश में जहां एक ओर मृत्युदंड की सजा पर बड़ी बहस चल रही है, वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. इनके मुताबिक, दिल्ली या जम्मू-कश्मीर में यदि कोई हत्या का दोषी करार दिया जाता है तो उसे फांसी पर लटकाए जाने की सजा की संभावना सबसे ज्यादा है.

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एनसीआरबी ने जारी किए आंकड़े
एनसीआरबी ने जारी किए आंकड़े

देश में जहां एक ओर मृत्युदंड की सजा पर बड़ी बहस चल रही है, वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. इनके मुताबिक, दिल्ली या जम्मू-कश्मीर में यदि कोई हत्या का दोषी करार दिया जाता है तो उसे फांसी पर लटकाए जाने की सजा की संभावना सबसे ज्यादा है.

एनसीआरबी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में जहां राष्ट्रीय औसत से 6.8 गुना ज्यादा फांसी की सजा सुनाई जाती है, वहीं दिल्ली में यह देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले 6 गुना अधि‍क है. एनसीआरबी ने यह आंकड़े 'हैंगिंग इन बैलेंस' स्टडी के तौर पर जारी किए हैं. इसमें देश के तमाम राज्यों में हत्या के दोषि‍यों को दी गई फांसी की सजा की समीक्षा की गई है.

एक तरह के अपराध पर अलग-अलग सजा
आंकड़ों के जरिए इस स्टडी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कैसे एक ही तरह के अपराध में लिप्त लोगों को अलग-अलग तरह की सजा सुनाई गई है. अध्ययन में पाया गया है कि झारखंड में औसत से 2.4 गुना अधि‍क मौत की सजा हुई है, जबकि गुजरात में यह आंकड़ा 2.5 है. पश्चि‍म बंगाल में औसत से 3.2 गुना अधि‍क को सजा-ए-मौत दी गई है.

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संख्या के लिहाज से यूपी में सबसे ज्यादा लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया है. कर्नाटक इस हिसाब से दूसरे नंबर पर है. साल 2000-2015 के बीच ट्रायल अदालतों ने 1790 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि इनमें से 1,512 मामले हाईकोर्ट के अधीन हैं.

पिछले दिनों लॉ कमिशन के प्रमुख रिटायर्ड जस्टिस एपी शाह ने आतंकी वारदातों और दूसरे ऐसे जघन्य अपराध के मामलों को छोड़कर मौत की सजा खत्म करने की वकालत की है.

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