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सेना के जवानों को सोशल मीडिया ऐप डिलीट करने के आदेश पर आज HC में सुनवाई

याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह खुद जम्मू-कश्मीर में तैनात है अपने परिवार से दूर है. पत्नी उत्तर प्रदेश में रहती है, पिता और बच्चे अक्सर विदेश में रहते हैं. ऐसे में परिवार और दोस्तों से संपर्क में रहने और बातचीत करने के माध्यम फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म ही हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

  • लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने लगाई याचिका
  • सेना के आदेश को असंवैधानिक बताया

आर्मी के जवानों को सोशल मीडिया ऐप डिलीट करने के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. इसमें कहा गया है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया से जुड़े 89 ऐप को आर्मी के जवानों को 15 जुलाई तक डिलीट करने के आदेश दिए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि यह सीधे तौर पर मौलिक अधिकारों का हनन है. यह याचिका खुद आर्मी में जम्मू कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी की तरफ से लगाई गई है. याचिका में कहा गया है 6 जुलाई का इंडियन आर्मी का यह आदेश पूरी तरीके से मनमाना और असंवैधानिक है.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह खुद जम्मू-कश्मीर में तैनात है अपने परिवार से दूर है. पत्नी उत्तर प्रदेश में रहती है, पिता और बच्चे अक्सर विदेश में रहते हैं. ऐसे में परिवार और दोस्तों से संपर्क में रहने और बातचीत करने के माध्यम फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म ही है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सेना में रहते हुए उन्होंने कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया और न ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई संवेदनशील जानकारी साझा की है. लेकिन अगर सोशल मीडिया के ऐप भी वे डिलीट कर देंगे तो अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क का जरिया टूट जाएगा.

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सेना के अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया अकाउंट को डिलीट करने से जुड़े इस आदेश को आर्टिकल 33 का खुला उल्लंघन बताया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर सेना के जवान सेना की बनाई किसी भी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं तो फिर उन्हें सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी कैसे लगाई जा सकती है. सोशल मीडिया में कई बार आ रही जानकारी के आधार पर जवान खुद को अपडेट भी करते हैं. जवानों की ड्यूटी अक्सर रिमोट एरिया में होती है. जहां उनके पास अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से संपर्क का यही जरिया होता है. याचिका में कहा गया है कि राइट टू प्राइवेसी के तहत जवानों की निजी जिंदगी में सीधा दखल है. सोशल मीडिया के इस्तेमाल की पाबंदी और अपने फेसबुक जैसे सोशल मीडिया अकाउंट को डिलीट करने के आदेश मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है.

याचिका में कहा गया है कि अगर सेना के जवान अपने अकाउंट को डिलीट करते हैं तो वे अपना पर्सनल डाटा खो देंगे, जो उनके लिए बहुमूल्य है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सेना के जवान घर से दूर होते हैं. घर परिवार की शादी, बच्चों का जन्मदिन जैसे व्यक्तिगत उत्सवों में शामिल नहीं हो पाते. ऐसे में फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया अकाउंट पर वे परिवार द्वारा साझा किए गए वीडियो और फोटो देख पाते हैं. लेकिन सेना के नए आदेश के बाद जवानों के लिए ये करना भी संभव नहीं होगा. दिल्ली हाईकोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर सकता है. सेना की तरफ से सभी जवानों को सोशल मीडिया ऐप और अकाउंट को डिलीट करने के लिए बुधवार तक का समय दिया गया है. ऐसे में इस मामले में कोर्ट में होने वाली सुनवाई बेहद अहम होगी.

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