लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच उत्तर प्रदेश में अपना खोया जनाधार तलाश रही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के यहां राज्य कार्यसमिति की बैठक में नहीं आने से कार्यकर्ताओं में मायूसी दिखी. इससे पहले सिंह गत 10 मार्च से गोरखपुर में हुई तीन दिवसीय कार्यसमिति की बैठक में भी नहीं आए थे। देश के हृदय प्रांत के रूप में माना जाने वाला उत्तर प्रदेश सिंह का गृह राज्य है. इन दोनों बैठकों में ही उनके आने का जोर शोर से प्रचार किया गया था.
वृंदावन में उनकी अनुपस्थिति की वजह किसी रिश्तेदार की तबियत खराब होना बताया गया. दूसरी ओर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वह पार्टी की राज्य इकाई की गुटबाजी से दूर रहना चाहते हैं. सिंह की ही तरह बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कल्याण सिंह भी नहीं आए. हालांकि उनकी नजदीकी मानी जाने वाली पार्टी की महिला शाखा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुसुम राय मंगलवार को जरूर पहुंची. सिंह की अनुपस्थिति में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी अरुण जेटली बैठक का समापन करने के लिए मंगलवार को पहुंच रहे हैं. बैठक में सोमवार की ही तरह मंगलवार को भी प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, भाजपा विधानमंडल दल के नेता ओमप्रकाश सिंह, वरिष्ठ नेता लालजी टंडन और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी ही सक्रिय दिखे.
अयोध्या आंदोलन में अगली कतार के नेता रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनय कटियार और वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र का भी बैठक में नहीं आना सुर्खियों में रहा. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी ने भगवान श्री कृष्ण की स्थली में हो रहे इस बैठक के उद्घाटन सत्र में सोमवार को लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कार्यकर्ताओं से अर्जुन बनकर लोकसभा चुनाव के महाभारत को जीतने का आह्वान किया था.