नोट के बदले वोट मामले में अपने तीन पूर्व सांसदों को जमानत मिलने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर साल 2008 में संसद में विश्वास मत से पहले सांसदों की खरीद फरोख्त का प्रयास करने का आरोप लगाया.
मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस घोटाले से जुड़े धन के लेनदेन के स्रोत का पता लगाने के लिए गहन जांच कराने की मांग की. भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘कांग्रेस नीत संप्रग सांसदों की खरीद फरोख्त करने का प्रयास कर रही थी जबकि हम इस मामले में भंडाफोड करने वालों के रूप में काम कर रहे थे.’ उन्होंने कहा कि इस मामले में सांसद मीडिया संगठन की जानकारी में पूरा आपरेशन चला रहे थे.
अपने सांसदों के केवल मामले का भंडाफोड करने वालों की भूमिका में होने का उल्लेख करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रथम द्रष्टया इनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता. रिश्वत लेने का कोई इरादा नहीं था. यह स्पष्ट है कि आपरेशन में उन्होंने केवल भंडाफोड करने वाले की भूमिका निभाई.’ उन्होंने इस बात पर भी सवाल किया कि इस मामले में केवल भाजपा सांसदों को ही क्यों निशाना बनाया गया और तिहाड़ जेल भेजा गया जबकि अन्य लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी जिसमें घोटाले की वास्तवित लाभार्थी कांग्रेस नीत संप्रग सरकार शामिल है.
22 जुलाई 2008 को तीनों भाजपा सांसदों अर्गल, कुलस्ते और भगोरा ने लोकसभा में विश्वास मत से पहले नोटों के बंडल लहराए और आरोप लगाया कि उन्हें यह राशि मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए दी गई है. इन लोगों को कथित तौर पर एक करोड़ रूपये पहले दिए गए और कुल सौदा कथित तौर पर नौ करोड़ रूपये का हुआ था.
भाजपा के युवा कार्यकर्ता के तौर पर काम करने का दावा करने वाले संजीव सक्सेना (अमर सिंह का पूर्व सहयोगी) और सुहैल हिंदुस्तानी भी रिहा कर दिए गए. अर्गल को अग्रिम जमानत मिली. मामले में गिरफ्तार अमर सिंह को चिकित्सा कारणों से जमानत दे दी गई. उन्होंने मामले में कोई भूमिका होने के आरोपों का खंडन किया है.
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, ‘कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने सांसदों को खरीदने की कोशिश की और हमने व्हिसल ब्लोअर की भूमिका निभाई.’