सचिन तेंदुलकर को बड़ा प्रेरणास्रोत मानने वाले आक्रामक बल्लेबाज युवराज सिंह ने खुलासा किया है कि इस चैम्पियन बल्लेबाज के साथ मिलकर टीम इंडिया को जीत तक पहुंचाना उनका पुराना सपना था जो पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में पूरा हुआ.
युवराज ने यह खुलासा अपनी वेबसाइट युवराजसिंह डाट को डाट इन पर किया जिसे सोमवार को उन्होंने मुंबई में लांच किया. उन्होंने कहा, ‘‘सचिन पाजी मेरे लिये प्रेरणास्रोत रहे हैं. मेरा पुराना सपना था कि उनके साथ मिलकर टीम को जीत तक ले जाऊं. यह पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में पूरा हुआ. मुंबई हमलों के बाद यह पहला टेस्ट था. चौथी पारी में रिकार्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए हमने जीत दर्ज की और उस पारी को मैं कभी नहीं भुला सकूंगा.’’
अपने माता पिता के अलावा पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को कैरियर में सबसे बड़ी प्रेरणा मानने वाले पंजाब के इस खब्बू बल्लेबाज ने कहा, ‘‘दादा को मेरी काबिलियत पर भरोसा था और मैं खुशकिस्मत हूं कि उनकी कप्तानी में खेलने का मौका मिला. दादा, सचिन पाजी, अनिल भाई, राहुल भाई और वीवीएस के साथ एक दशक तक ड्रेसिंग रूम बांटने का अनुभव यादगार है.’’
युवराज ने यह भी कहा, ‘‘मेरी मां ने मुझे हमेशा अहसास दिलाया कि मैं खास चीज के लिये बना हूं. वह मेरी ताकत बन गई. मेरे पिता ने मुझे क्रिकेट की बारीकियां सिखाई और अनुशासन भी. इसके अलावा पंजाब के पूर्व कप्तान और पूर्व भारतीय क्रिकेटर विक्रम राठौड़ ने मुझे मार्गदर्शन दिया.’’ उन्होंने यह भी बताया कि कैरियर के शुरुआती दौर में वह आलोचना से काफी परेशान हो जाते थे लेकिन समय के साथ उन्होंने इसका सामना करना सीख लिया. उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दस साल में कई बार मुझे दुख होता था जब लोग यह नहीं समझ पाते थे कि कोई खिलाड़ी हर मैच नहीं जिता सकता या हर मैच में सैकड़ा नहीं ठोक सकता.
यह और भी दुखदायी होता है जब लोग मैदानी विफलता को निजी जिंदगी के घटनाक्रम से जोड़ देते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सार्थक आलोचना और दोषारोपण में मामूली फर्क होता है लेकिन कई बार लोग यह सीमा लांघ देते हैं. पहले मुझे इससे काफी दुख होता था लेकिन परिपक्व होने के साथ मैं समझ गया हूं कि अक्सर भावावेग में आकर इस तरह की टिप्पणियां कर दी जाती है.’’
टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में शुमार युवराज को एक जमाने में रणजी टीम से इसलिये बाहर कर दिया गया था क्योंकि वह खराब क्षेत्ररक्षक थे. उन्होंने बताया, ‘‘लोगों को लगता है कि मैं शुरू से बेहतरीन फील्डर हूं लेकिन ऐसा नहीं है. पंद्रह बरस की उम्र में मुझे रणजी टीम से बाहर कर दिया गया था क्योंकि मैं लचर फील्डर था. इसके बाद मैने इसे चुनौती के रूप में लिया और फील्डिंग में सुधार करके इस मुकाम तक पहुंचा.’’