scorecardresearch
 

पीएम मोदी ने शुरू किया 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान, जानें क्या है बीजेपी का पूरा प्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान की शुरुआत कर दी है. पीएम मोदी के मध्य प्रदेश से इस अभियान की शुरुआत करने के पीछे बीजेपी का पूरा प्लान क्या है?

Advertisement
X
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने साल 2014 के चुनाव से राष्ट्रीय स्तर पर एक नया प्रयोग किया. बीजेपी ने चुनाव की सबसे निचली इकाई बूथ जीतने पर फोकस किया और नतीजा ये रहा कि पार्टी एक के बाद चुनाव जीतती चली आ रही है. अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी का फोकस काफी हद तक बूथ लेवल पर शिफ्ट हो गया. अमित शाह ने ये बूथ जीतने का मंत्र देते हुए कहा था- जिसने इस सबसे निचली इकाई को जीत लिया, समझो उसने सीट जीत ली.

चुनाव में माइक्रो मैनेजमेंट का अमित शाह का ये मंत्र बीजेपी के हर चुनाव अभियान की धुरी बनता रहा है. अब देश में चुनावी मौसम शुरू हो रहा है. अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले साल के अंत तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव भी हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी एक्टिव मोड में आ गई है. 

बीजेपी ने पांच चुनावी राज्यों के साथ ही 2024 के चुनाव को लेकर 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान शुरू कर दिया है. इस अभियान की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से की. पीएम मोदी ने भोपाल में देशभर से आए करीब 3000 बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को बूथ जीतने का मंत्र दिया. पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का प्रसारण देशभर में किया गया जिसके लिए बीजेपी ने इंतजाम किया था. पार्टी का दावा है कि करीब 10 लाख कार्यकर्ताओओं ने इसका सीधा प्रसारण देखा.

Advertisement

क्या है बीजेपी का प्लान

बीजेपी की चुनावी सफलता के लिए पार्टी के इसी माइक्रो मैनेजमेंट को श्रेय दिया जाता है. पार्टी का पूरा फोकस सीट जीतने की जगह बूथ जीतने पर रहता है. पार्टी जानती है कि अगर उसने बूथ लेवल पर विरोधी को पटखनी दे दी तो सीट जीतने का मार्ग ऐसे ही प्रशस्त हो जाएगा. पार्टी का प्लान पीएम मोदी की इस रैली के जरिए चार चुनावी राज्यों के साथ ही देशभर के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं में, संगठन में नया जोश भरने का है.

क्या है 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान

बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस किया, सीट नहीं बल्कि बूथ जीतने का मंत्र दिया. इसी रणनीति के तहत पार्टी ने लोकसभा चुनाव हो या राज्यों के विधानसभा चुनाव, पार्टी ने मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान शुरू किया और यही प्रयोग चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 चुनाव में भी जारी रहना है. इस अभियान के तहत हर बूथ पर पार्टी को मजबूत करने के लिए लोकल लेवल पर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाती है.

बीजेपी में बूथ लेवल मैनेजमेंट की शुरुआत का श्रेय कुशाभाऊ ठाकरे को दिया जाता है जिन्होंने मध्य प्रदेश में संगठन की जड़ें मजबूत करने के लिए सबसे छोटी इकाई पर जोर दिया. मध्य प्रदेश के साथ ही गुजरात में भी बीजेपी का ये प्रयोग सफल रहा और पार्टी कई साल तक लगातार सत्ता में रही. बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी अध्यक्ष रहे अमित शाह ने देशभर में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया और नतीजा ये रहा कि पार्टी 2014 चुनाव से भी बड़ी जीत के साथ सत्ता में लौटी.

Advertisement

बूथ कमेटी बीजेपी के सांगठनिक ढांचे का अंग

चुनाव कोई भी हो, बीजेपी की सफलता के पीछे एक कॉमन फैक्टर होता है- बूथ लेवल मैनेजमेंट. बीजेपी में संगठन का जो ढांचा है, उसमें बूथ कमेटी पर पार्टी सबसे ज्यादा ध्यान देती है. चुनाव हों या ना हों, बीजेपी में हर तीन साल बाद बूथ लेवल कमेटी का गठन होता है. राष्ट्रीय, प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला, मंडल और सेक्टर के साथ ही बूथ लेवल कमेटी भी बीजेपी के सांगठनिक ढांचे का अहम हिस्सा है.

बीजेपी की रणनीति है कि हर बूथ कमेटी का सदस्य 10 परिवार से संपर्क करे. बूथ कमेटी में बूथ अध्यक्ष, बूथ एजेंट और महामंत्री के साथ ही 10 सदस्य होते हैं जिनका काम मतदाताओं के संपर्क में रहना, मतदान के दिन उनको बूथ तक ले जाना और बीजेपी के पक्ष में मतदान कराना होता है. 

बूथ कमेटी के नीचे चुनाव के समय बीजेपी पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी बनाती है जिसका मतलब है मतदाता सूची के एक पन्ने और आधा पन्ना की कमेटी. बीजेपी ने माइक्रो लेवल पर जाकर मतदाता सूची के एक-एक पन्ने के लिए प्रमुख को जिम्मेदारी दी थी. एक पन्ने पर 60 मतदाताओं के नाम होते हैं.

बीजेपी ने पिछले गुजरात चुनाव में इसको और विस्तार देते हुए पेज समिति का गठन किया था जो सफल भी रहा था. एक-एक पन्ने के लिए एक-एक समिति बनाई गई थी. पन्ना समिति के सदस्यों का काम 10-10 मतदाताओं के संपर्क में रहना, मतदान के लिए बूथ तक ले जाना और बीजेपी के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित रहना होता है. अर्द्ध पन्ना कमेटी के जिम्मे एक पन्ने पर अंकित 30 मतदाताओं के संपर्क में रहने की जिम्मेदारी होती है.

Advertisement

देश में कुल 10 लाख से अधिक बूथ, मध्य प्रदेश में 65 हजार

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए 10 लाख से ज्यादा पोलिंग बूथ बनाए गए थे. देशभर में कुल 10 लाख 35 हजार 919 पोलिंग बूथ बनाए गए थे. 1 लाख 63 हजार 331 पोलिंग बूथ के साथ यूपी इस मामले में शीर्ष पर था. वहीं, मध्य प्रदेश 65 हजार 283 पोलिंग बूथ के साथ इस सूची में छठे नंबर पर था. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में भी करीब 65 हजार पोलिंग बूथ पर मतदान हुआ था.

मेरा बूथ सबसे मजबूत के लिए मध्य प्रदेश का चयन क्यों

अब सवाल ये भी उठ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान शुरू करने के लिए मध्य प्रदेश का चयन क्यों किया गया? बीजेपी से जुड़े लोग इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताते हैं. पहला ये कि जिन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश ही इकलौता ऐसा राज्य है जहां बीजेपी की सरकार है. दूसरा कारण ये कि बूथ लेवल कमेटियों के गठन के मामले में मध्य प्रदेश सबसे आगे है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 1998 में मध्य प्रदेश के भोपाल से बूथ विस्तारक कार्यक्रम शुरू किया था. मध्य प्रदेश में इस कार्यक्रम का नतीजा ये हुआ कि मध्य प्रदेश बीजेपी के मजबूत किले में तब्दील हो गया. पार्टी 2003 से 2018 तक लगातार सत्ता में रही. 2018 के चुनाव में जब सत्ता गंवाई भी, तब भी बीजेपी को कांग्रेस से अधिक वोट मिले थे भले ही सीटें कम हो गईं. यही वजह है कि पीएम मोदी और बीजेपी ने बूथ लेवल पर पार्टी का व्यापक अभियान शुरू करने के लिए मध्य प्रदेश का चयन किया.

Advertisement

चार राज्यों में तीन हजार बूथ विस्तारक

देशभर के तीन हजार बीजेपी कार्यकर्ता पीएम मोदी से जीत का मंत्र लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना जा रहे हैं. पार्टी ने यूपी जैसे राज्यों से भी अल्पकालिक बूथ विस्तारकों को चार चुनावी राज्यों में भेजने का निर्णय लिया है. इन अल्पकालिक बूथ विस्तारकों को एक-एक मंडल की जिम्मेदारी दी गई है. ये सात दिन तक बूथ को लेकर समीक्षा बैठक करेंगे. इसके लिए इन्हें एक दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया है.

 

Advertisement
Advertisement